अजमेर. आनासागर किनारे वेटलैंड नहीं बनाया जाना प्रशासन के लिए गलफांस बन गया है। पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दायर निष्पादन याचिका को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पंजीकृत कर लिया है। याचिका पर अब प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू होगी। जबकि इससे पूर्व पिछले दिनों अशोक मलिक की याचिका पर एनजीटी के आदेशों की पालना संबंधित विभागों द्वारा अभी तक नहीं की गई है। जिसकी समय सीमा भी इसी माह समाप्त होनी है।वर्ष 2021 में पेश याचिका संख्या 63/ 2021 में वेटलैंड संबंधी नियम लागू करने का आदेश होने के बावजूद क्रियान्विति नहीं होने पर शेखावत ने आदेश की क्रियान्विति की मांग की है। निर्माणों में लवकुश गार्डन क्षेत्र में फूड कोर्ट भवन भी शामिल है।
याचिकाकर्ता शेखावत ने याचिका में 13 दिसम्बर 2021 के आदेश की पालना करते हुए पांच साल में बनाए गए सभी ढांचों को वैटलैंड कंज़र्वेशन मैनेजमेंट रूल्स के तहत ध्वस्त करने की मांग की है।
एनजीटी ने दिए थे ध्वस्त करने के आदेशयाचिका में बताया गया कि ट्रिब्यूनल के निर्देश के बाद भी ‘सेवन वंडर पार्क’ और पथ का एक हिस्सा निर्मित किया गया है, इसलिए ऐसे निर्माण को एनजीटी अधिनियम 2010 की धारा 15 के अनुसार तोड़ दिया जाना चाहिए। सुरेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पूर्व में दायर प्रकरण संख्या 63/2021 में ज्वाइंट कमेटी ने इसे मानव निर्मित झील मानकर वेटलैंड नियमों को लागू नहीं माना था। लेकिन एनजीटी ने इसे ख़ारिज कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार एनजीटी ने राजस्थान की वेटलैंड प्राधिकरण, जिला कलक्टर और अन्य जिम्मेदार प्राधिकरणों को वेटलैंड संरक्षण प्रबंधन के नियम 2010 और 2017 का सख्त पालन करने का आदेश दिए थे।
निर्माण ध्वस्त करने के दिए थे आदेशएनजीटी में ही एक अन्य याचिका दायर करने वाले अशोक मलिक ने बताया कि एनजीटी के निर्देश पर एमडीएस विश्वविद्यालय अजमेर के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रभारी रहे प्रवीण माथुर ने एक जिला पर्यावरणीय योजना तैयार की थी। मलिक ने बताया कि रिपोर्ट में आनासागर झील और फॉयसागर झील को शामिल नहीं किया गया है। मलिक की याचिका पर एनजीटी ने गत अगस्त माह में ऐसे सभी निर्माण जो वेटलैंड एरिया में बने हैं उन्हें दो माह में ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। यह अवधि इसी माह 31 अक्टूबर को पूरी होनी है।
वेटलैंड के लिए आरक्षित भूमि पर निर्माणअजमेर विकास प्राधिकरण ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर अनासागर झील अजमेर में वेटलैंड बनाने के उद्देश्य से भूमि अधिग्रहित की थी। लेकिन उसी भूमि को स्मार्ट सिटी को ‘सेवन वंडर पार्क’ बनाने के लिए दे दिया। एनजीटी ने पहले ही आदेश दिया है कि वेटलैंड कंजर्वेशन मेनेजमेंट के नियम 2010 और 2017 इस झील पर लागू हैं। इस कारण एनजीटी ने ऐसे निर्माण को वेटलैंड नियम 2010 के नियम 4 के अनुसार तोड़ दिया जाना चाहिए।
पाथवे बनाने से झील का दायरा घटा
आनासागर झील के चारों ओर करीब नौ किमी का पाथ वे बनाने से आनासागर की 62 लाख 10 हजार क्यूबिक यार्ड की भराव क्षमता घटकर 41 लाख क्यूबिक यार्ड रह गई है।