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अजमेर के स्मार्ट सिटी कार्यालय से अफ़सरों की मनमानी का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां अजमेर स्मार्ट सिटी कार्यालय में डी.टी.पी (डेवलपमेंट टाउनशिप प्लानर) के पद पर नियुक्ति एक अधिकारी को हाज़िरी रजिस्टर में साइन नहीं करने दिया जा रहा. इससे परेशान होकर अधिकारी ऑफिस की दीवार पर अपनी हाज़िरी लगा रहीं हैं. 

दरअसल 2 साल पहले मीनाक्षी वर्मा की नियुक्ति अजमेर स्मार्ट सिटी कार्यालय में की डी.टी.पी (डेवलपमेंट टाउनशिप प्लानर) के पद पर हुई थी. मीनाक्षी वर्मा ने टाउन प्लानिंग मास्टर और नो कंस्ट्रक्शन ज़ोन के नियम बताते हुए जवाहरलाल नेहरू अस्पताल, पटेल मैदान और स्मार्ट सिटी के तहत अन्य प्रोजेक्ट्स पर कुछ सवाल खड़े कर दिए जिससे आला अफसर नाराज़ हो गए और मीनाक्षी वर्मा का ट्रांसफर कर उन्हें नगर निगम भेज दिया, मीनाक्षी वर्मा को 2 साल बिना काम किए सैलरी मिलती रही.

दीवार पर हर रोज़ के हस्ताक्षर

मीनाक्षी वर्मा का कहना है कि उन्होंने कई बार अफसरों को चिट्ठी लिखकर काम देने की गुहार लगाई, लेकिन जब पिछले महीने एनजीटी ने स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर सवाल उठाते हुए दूसरे अफसर सहित मीनाक्षी से भी जवाब मांगा गया था. मीनाक्षी ने जवाब पेश कर दिया,आरोप है कि इसके बाद भी मीनाक्षी किम तरफ से स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने मनगढ़ंत जवाब पेश कर दिया. 

मीनाक्षी ने कहा मुझे साइन नहीं करने दिया जा रहा, हाज़िरी रजिस्टर अलमारी में रख दिया है, दीवार पर साइन कर अटेंडेंस लगा रही हूं, उच्च अधिकारियों को रोज़ लिखित में उपस्थित भेज रही हूं, मुझे दफ्तर में बैठने भी नहीं दिया जा रहा, गार्ड को कहा गया है कि मुझे ऑफिस में घुसने नहीं दिया जाए, मैं आज असुरक्षित महसूस कर रही हूं, मुझे सबके सामने अपमानित किया जा रहा है, रोज़-रोज़ मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है. 

अब दीवार पर हस्ताक्षर कर दे रही अपनी हाज़िरी 

स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की मनमानी के चलते मीनाक्षी वर्मा को ऑफिस के अंदर घुसने नहीं दिया जा रहा है ,वह सुबह दफ्तर आती है ,अपने ऑफिस के बाहर दीवार पर हस्ताक्षर कर अपनी हाज़िरी देती है. और उसकी फोटो खींचकर जिला कलेक्टर भारती दीक्षित और अपने अधिकारियों को भेजती हैं . पिछले कई दिनों से मीनाक्षी वर्मा के दिन की शुरुआत यहीं से शुरू होती है, और शाम होते-होते यहीं पर ख़त्म हो जाती है. 

पहले NGT की सुनवाई में जबरन छुट्टी दे दी 

इससे पहले NGT की सुनवाई में शामिल होने से रोकने के लिए मीनाक्षी वर्मा को आदिवासी दिवस के दिन सार्वजनिक अवकाश होने के बावजूद एपीओ कर रिलीविंग के आदेश थमा दिए, जिसे उन्होंने राजस्थान सिविल सेवा अपील प्राधिकरण में चुनौती दी, मीनाक्षी वर्मा की अपील को राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और उन्हें वापस स्मार्ट सिटी डीटीपी के पद पर नियुक्त करने के आदेश दिए. 

मीनाक्षी वर्मा ने अधिकरण के आदेश पर 18 अगस्त को ज्वाइनिंग करने पहुंची. तीन-चार दिन तक उन्होंने स्मार्ट सिटी ऑफिस के हाज़िरी रजिस्टर में हस्ताक्षर किए, लेकिन अब हाज़िरी रजिस्टर नहीं दिया जा रहा, निचले स्तर के कार्मिक हस्ताक्षर रजिस्टर मीनाक्षी वर्मा को नहीं दे रहा है, लेकिन लिखित में कोई आदेश नहीं है, मजबूरन डीटीपी मीनाक्षी वर्मा को दीवार पर हस्ताक्षर करने पड़ रहे हैं.

अजमेर स्मार्ट सिटी के अधिकारी ने नहीं उठाया फोन

वहीं इस मामले में अजमेर स्मार्ट सिटी के अफसरों का पक्ष जानने के लिए एनडीटीवी राजस्थान के संवाददाता ने अजमेर स्मार्ट सिटी के ACEO और नगर निगम के कमिश्नर सुशील कुमार को कई बार फोन किया. उन्हें प्रकरण की जानकारी देते हुए उनका जवाब जानने के लिए मैसेज भी किया. लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया. ना ही फोन रिसीव किया गया. ऐसे महिला अधिकारी के साथ हो रहे इस अमानवीय व्यवहार पर अजमेर स्मार्ट सिटी का पक्ष नहीं मिल सका.

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