अजमेर 17 दिसंबर। इंडियन ग्रामीण सर्विसेज (आईजीएस) के माध्यम से बंधन बैंक के प्रोजेक्ट अंतर्गत मोतीसर, पुष्कर में किसानों के साथ पौधारोपण, जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को जैविक एवं टिकाऊ कृषि पद्धतियों से जोड़कर उनकी आय में वृद्धि करना रहा।
कार्यक्रम में श्री रवि बाबू, मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड, सुश्री रूबीना बानू, डीडीएम नाबार्ड, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) से श्री धर्मेंद्र सिंह भाटी, श्री संजय कुमार सिंह, एलडीएम, श्री कविश कुमार, आरएम ग्रामीण बैंक, श्री कालूराम, आरसेटी डायरेक्टर, श्री जुगराज जी, एग्रीकल्चर सुपरवाइजर, श्री नन्द लाल माली सहित आईजीएस टीम से श्री मनीष सैनी एवं श्री महावीर पारीक ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
कार्यक्रम के दौरान श्री रवि बाबू ने एफपीओ के माध्यम से संचालित प्रोसेसिंग यूनिट का भ्रमण किया तथा आंवला एवं गुलकंद प्रसंस्करण की प्रक्रिया की जानकारी ली। उन्होंने उत्पादों की स्टॉल का अवलोकन कर एफपीओ की गतिविधियों को और अधिक सशक्त बनाने पर जोर दिया। वहीं आरएम श्री कविश कुमार ने किसानों को विभिन्न बैंकिंग योजनाओं की जानकारी देते हुए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
केवीके के विशेषज्ञ श्री धर्मेंद्र सिंह भाटी ने क्षेत्र में उपयुक्त पौधों की किस्मों एवं समय-समय पर आयोजित होने वाले कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी किसानों को प्रदान की। आईजीएस से श्री मनीष सैनी ने एफपीओ की गतिविधियों एवं किसानों की सक्रिय भागीदारी पर प्रकाश डाला। वहीं श्री महावीर पारीक ने बंधन बैंक प्रोजेक्ट अंतर्गत पौधारोपण, जैविक खेती एवं किसान क्षेत्र विद्यालय (एफएफएस) के प्रशिक्षण की जानकारी साझा करते हुए किसानों का प्रशिक्षण पूर्ण कराया।
इस अवसर पर एफपीओ के बीओडी सदस्य श्री सेठू रावत, श्री भगवान सिंह, श्री सत्यानारायण यादव, श्री राम सिंह सहित लगभग 90 से 100 शेयरधारक किसानों ने भाग लिया। कृषि विशेषज्ञों द्वारा किसानों को जैविक खाद एवं जैविक दवाइयों के निर्माण का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। बताया गया कि वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और उत्पादन में वृद्धि होती है, वहीं जैविक दवाइयों, कीट प्रबंधन एवं बीजोपचार से फसल उत्पादन बढ़ता है और खेती की लागत में कमी आती है।
कार्यक्रम के अंत में श्री रवि बाबू द्वारा पौधारोपण किया गया, जिससे पर्यावरण संरक्षण एवं हरित कृषि को बढ़ावा देने का संदेश दिया गया। यह कार्यशाला किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हुई और जैविक व प्राकृतिक खेती की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
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