अजमेर। विजयनगर राजनगर रेलवे फाटक के समीप गनी भाई की नान-वेज की दुकान पर डाक द्वारा लिफाफा प्राप्त हुआ उसमें एक पत्र के साथ 40₹ रखे थे!
दुकान के मालिक गनी भाई ने लिफाफा खोला और उसे पर लिखा था कि 2005 मेंआपकी दुकान पर भीड का फायदा उठाकर₹40 कम दे गया!मैं आपकी दुकान पर आता जाता रहा हूं!इस बात को लेकर उसके मन में पश्चाताप हुआ और उसने सोचा कि यह कर्ज में मर गया तो कैसे चुकाऊंगा इसलिए जीते जी उसने लिफाफे में डाल कर डाक के माध्यम सेअपना कर्ज चुकता किया!ग्राहक ने अपना नाम पता कुछ नहीं लिखा!इंसान का जमीर कब जग जाए पता ही नही चलता !
किसी सच कहा है –
*”ज़मीर जिंदा रखो, दौलत आती जाती रहेगी…”*