Sun. Oct 13th, 2024
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अजमेर। दीपावली पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन को लेकर विद्वानों में भ्रम की स्थिति है। कुछ का मानना है कि इस बार दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाए तो वहीं कुछ 1 नवंबर को दीपावली पूजन के पक्ष में है। कार्तिक अमावस्या की तिथि दो दिन होने के कारण दीपावली की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

 

विद्वानों व शास्त्रियों की अलग-अलग राय के कारण 11 जिलों में 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। जबकि अजमेर, भीलवाड़ा समेत 16 शहरों में 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी।

 

वहीं, जोधपुर, बीकानेर समेत 5 जिलों में 2 दिन दीपावली मनाने पर सहमति बनी है। अलवर में ज्योतिषाचार्यों की बैठक के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा।

 

*प्रमुख जिलों के ज्योतिषाचार्य के तर्क और विद्वानों के मत…… ✍️👇*

 

*उदयपुर में पुजारी बोले- दीपावली 1 नवंबर को ही मनाए*

उदयपुर के जगदीश मंदिर के पुजारी रामगोपाल ने दीपावली 1 नवंबर को ही मनाई जाएगी। वे बताते है कि पंचांग के अनुसार अमावस्या 1 नवंबर को है और इसी दिन दीपावली मनाई जाएगी।

 

जिले में महालक्ष्मी मंदिर का संचालन करने वाले श्रीमाली जाति संपत्ति व्यवस्था ट्रस्ट के सचिव मधुसूदन बोहरा ने बताया- यहां पर 1 नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी।

 

*दौसा के विद्वान बोले- 31 अक्टूबर सर्वश्रेष्ठ*

मेहंदीपुर बालाजी धाम के पंडित विश्वप्रकाश अवस्थी का कहना है- कई पंचांग में 1 नवम्बर को दीपावली पर्व बताया गया है। लेकिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि को ही दीपावली मनाई जाती है।

 

वैदिक पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को शाम 4 बजे बाद शुरू होकर 1 नवम्बर को शाम 6.17 बजे तक रहेगी। 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन के कई शुभ मुहूर्त भी हैं। दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाया जाना सर्वश्रेष्ठ है।

 

*श्रीगंगानगर में दीपावली को लेकर दो मत*

श्रीगंगानगर में दीपावली मनाने को लेकर दो मत सामने आए है। पंडित शिवदयाल शास्त्री के अनुसार 31 अक्टूबर को अमावस्या दोपहर 3.52 बजे शुरू होगी। 1 नवंबर को शाम 6.16 बजे तक अमावस्या है। इसके कारण 31 अक्टूबर को दीपावली मनानी चाहिए।

 

वहीं 1 नवंबर को दीपावली मनाने के पक्षधर पंडित बनवारी लाल पारीक का कहना है- दीपावली मनाने के लिए अमावस्या तिथि 24 मिनट तक होना जरूरी है। 1 नवंबर को इससे ज्यादा अवधि तक अमावस्या है। शताब्दी पंचांग, मनीराम पंचांग, दिवाकर पंचांग और मार्तंड पंचांग में भी इसी दिन का समर्थन किया गया है। ऐसे में इसी दिन दीपावली मनाई जानी चाहिए। हालांकि अभी तक क्षेत्र में किसी प्रकार की कोई सामूहिक बैठक नहीं की है।

 

*पाली के पंडित बोले- सिंह लग्न 31 को, तब ही मनाए दीपोत्सव*

 

पाली के पंडित चैतन्य श्रीमाली ने बताया-..

 

31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि में पूर्ण प्रदोष काल होने व अर्धरात्रि व्यापिनी अमावस्या के कारण दीपावली मनाई जानी चाहिए। दीपावली महालक्ष्मी के पूजन और अमावस्या जागरण का पर्व है।

 

स्नान, दान और व्रत के लिए अमावस्या 1 नवंबर को मान्य है। इस दिन प्रदोष काल 6:17 बजे तक है 5:41 पर सूर्यास्त होगा। 6:17 बजे अमावस्या खत्म हो जाएगी। इसके कारण दीपावली का महत्व अमावस्या तिथि की रात्रि को ही माना जाएगा, जो 31 अक्टूबर को रहेगी। शास्त्रों के अनुसार- जो दीपक श्राद्ध होता, वह भी रात्रि-कालीन होता है। अर्थात वह भी 31 को ही मान्य होगा। साथ ही अधिकतर साधक दीपावली पूजन सिंह लग्न में करते हैं। 1 तारीख को सिंह लग्न में अमावस्या नहीं रहेगी।

 

*अजमेर के ज्योतिषाचार्य ने कहा- 1 नवंबर को मनाए*

अजमेर से ज्योतिषाचार्य सुदामा पंडित ने बताया- दीपावली पूजन से पूर्व पितरों की शांति व पितृ पूजा की जाती है। अगर 31 अक्टूबर को दीपावली मनाएंगे तो दूसरे दिन पितरों की पूजा की जाएगी। इसमें दोष लगता है।

 

शास्त्र निर्णय सिंधु में साफ लिखा है- अगर दो दिन अमावस्या हो और प्रदोष व्यापिनी भी हो तो प्रतिपदा तिथि (दूसरे दिन की अमावस्या) दीपावली के लिए उपयुक्त है। इससे पहले चतुर्दशी में आने वाली अमावस्या को दीपावली नहीं मनाई जानी चाहिए। इस लिहाज से दीपावली 31 अक्टूबर को न मानकर 1 नवंबर को ही मनाई जानी चाहिए।

 

जोधपुर में दीपावली मनाने को लेकर दो मत हैं। इसके तहत 31 अक्टूबर और 1 अक्टूबर दोनों ही लक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ बताए हैं।

 

*जोधपुर में दो मत- 31 और 1 दोनों श्रेष्ठ*

 

जोधपुर के पंडित सत्यनारायण ने बताया- दीपावली 31 अक्टूबर को दोपहर 3:54 पर लगेगी, जो 1 नवंबर को 6:17 मिनट तक रहेगी। प्रदोष व्यापानी अमावस्या दीपावली के लिए सबसे उत्तम रहती है। दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या है, लेकिन चतुर्दशी के दिन अमावस्या शास्त्रों में निषेध कहा गया है। इसलिए एक नवंबर को ही दीपावली मनाना उचित रहेगा।

 

*पंडित राम अवतार गौड़ ने बताया-*

 

इस बार निर्णय सिंधु मत अनुसार दीपावली 1 नवंबर को ही मनाई जाएगी। इस दिन प्रतिपदा युक्त अमावस्या है।

 

पंडित भारत दवे ने बताया कि वैष्णव धर्म में उदय तिथि के अनुसार ही सम्पूर्ण दिन माना जाता है, लेकिन स्मार्त धर्म में घटी पल के अनुसार तिथि बदलती है और वही मान्य होती है। दूसरी बात प्रदोष काल के अनुसार और रात्रि कालीन समय की संपूर्ण ब्यख्य अनुसार 31 की दीपावली श्रेष्ठ है।

 

*चित्तौड़गढ़ में महंतों के अनुसार 1 नवंबर ही शास्त्र सम्मत*

चित्तौड़गढ़ के हजारेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्री चंद्र भारती महाराज ने बताया- दीपावली सिर्फ रात के लिए नहीं होती। 31 अक्टूबर की दोपहर को अमावस्या शुरू होगी। अमावस्या में प्रदोष काल पहले दिन है और दूसरे दिन प्रहर तीन दिन होगी। दूसरे दिन भी प्रतिपदा वृद्धि गामिनी होकर तीन प्रहर के उपरांत समाप्त हो रही है। इसके कारण लक्ष्मी पूजन अगले दिन (अमावस्या) में ही करें। शास्त्रों के अनुसार 1 नवंबर दीपावली मनाना ही शास्त्र सम्मत होगा।

 

*जैसलमेर के विद्वानों का तर्क- दीपावली 31 अक्टूबर को, दान 1 को करें*

जैसलमेर के ज्योतिषाचार्य उमेश आचार्य का कहना है- 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि में पूर्ण प्रदोष काल होने व अर्ध रात्रि व्यापिनी अमावस्या के कारण दीपावली मनाई जाएगी। दीपावली महालक्ष्मी के पूजन और अमावस्या जागरण का पर्व है। दीपावली के लिए अर्ध रात्रि व्यापिनी अमावस्या का होना आवश्यक है, अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3.53 बजे शुरू होगी और 1 नवंबर को सायं 6.17 बजे तक रहेगी। अर्ध रात्रि व्यापिनी अमावस्या 31 अक्टूबर को होने पर दीपावली पर्व 31 अक्टूबर को ही होगा l स्नान, दान व व्रत के लिए अमावस्या 1 नवंबर को मान्य है।

 

*कोटा के विद्वानों की राय- 31 को करें लक्ष्मी पूजन*

कोटा के ज्योतिषाचार्य देवेंद्र ने बताया- इस बार अमावस्या की रात 31 तारीख को होगी। ऐसे में दीपावली का पूजन अमावस्या की रात यानी 31 तारीख को ही किया जाएगा। हालांकि अमावस्या तिथि का कुछ अंश 1 नवंबर में भी है, लेकिन वह उदया तिथि में होगा। 1 तारीख की रात अमावस्या नहीं है, इसलिए कोटा में 31 की रात ही दीपावली पूजन श्रेष्ठ रहेगा।

 

वहीं कोटा के ही आचार्य अमित जैन के अनुसार- दीपावली का योग इस बार दो दिन है। 31 और 1 दोनों दिन ही दीपावली मनाई जा सकती है, लेकिन दीपावली पूजन यानी लक्ष्मी पूजन तो 31 को ही होगा, क्योंकि अमावस्या की रात इसी दिन है। दूसरे दिन एक तारीख को उदया दीपावली मानी जाएगी, यानी इस दिन उदया तिथि में अमावस्या लग रही है, लेकिन पूजन का विधान अमावस्या की रात का है। ऐसे में पूजा 31 अक्टूबर को ही होगी और दीपावली इसी दिन मनाई जाएगी। हालांकि दूसरे दिन भी लोग दीपावली मना सकते हैं।

 

*नागौर के पंडितों का तर्क- 31 अक्टूबर ही उपयुक्त*

नागौर के पंडित मोहन राम स्वामी का कहना है- ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तिक माह में जब प्रदोष काल और मध्यरात्रि में अमावस्या तिथि हो, तभी दीपावली मनाई जाती है। माना जाता है कि कार्तिक माह की अमावस्या की मध्यरात्रि के पहर में लक्ष्मी माता विचरण करती हैं और जहां उनका पूजन होता हुआ मिलता है तो वहां उन्हें खुशी होती है।

 

31 अक्टूबर को अर्द्धव्यापिनी अमावस्या है। संवत 2019 में भी ऐसी ही असमंजस की स्थिति बनी थी, तब भी रात्रिकालीन तिथि के अनुसार निर्णय लिया गया था। दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाना उपयुक्त है

 

जालोर के ज्योतिषाचार्यों का मत- 1 नवंबर को ही मनाए दीपावली

ज्योतिषाचार्य पंडित भानू प्रकाश दवे ने बताया- 31 अक्टूबर को पूर्ण अमावस्या है और 1 नवंबर को भी अमावस्या है। शास्त्रों के अनुसार दूसरा दिन ही पूजन के लिए मान्य रहता है। इसके कारण दूसरे दिन 1 नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी।

 

*चूरू में 31 अक्टूबर पर सहमति*

 

पंडित महेन्द्र शास्त्री ने बताया-

 

दीपावली पर्व रात्रिकाल का आयोजन है। इस बार 31 अक्टूबर को दोपहर 3:54 बजे से अमावस्या शुरू होगी। फिर 1 नवंबर को 6:16 बजे समाप्त होगी। चूरू के विद्वान जनों ने सर्वसम्मति से दीपावली पर्व 31 अक्टूबर को मनाने का निर्णय लिया है।

 

*सीकर में विप्रों की बैठक, 31 अक्टूबर को दीपावली*

सीकर के पंडित विक्रम जोशी के अनुसार- सीकर में 31 अक्टूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। दीपावली का त्यौहार हिंदू धर्म में सबसे बड़ा त्यौहार है। सीकर का पंचांग श्रीमानव पंचांग है। जिसे वल्लभ मणिराम के नाम से भी जानते हैं, उसमें भी दीपावली का पर्व चतुर्दशी को 31 अक्टूबर को ही दिया गया है। ऐसे में सीकर में सभी 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएंगे।

 

विप्रों की जो कमेटी बनी है, उसके द्वारा भी यह निर्णय लिया गया है कि 31 अक्टूबर को ही दीपावली का त्यौहार मनाया। इस बार अलग-अलग समय दीपावली होना अक्षांश और रेखांश का फर्क है। उदाहरण के तौर पर असम में सूर्योदय 4:00 बजे होता है। जबकि हमारे यहां पर 1 घंटे का फर्क है। सीकर में 5:00 बजे होता है। इसी कारण विप्रों की कमेटी का निर्णय ही सर्वमान्य रहेगा।

 

*जयपुर के विद्वान बोले- दोनों दिन कर सकते हैं पूजन*

 

जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम सेवक दुबे कहते हैं- इसमें किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है कि हम 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएं या 1 नवंबर को नहीं मनाएं। हम दोनों ही दिनों में लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं।

 

वहीं विश्वविद्यालय के ही वेदवेदांग संकायाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार शर्मा ने बताया- ज्योतिष के प्रामाणिक ग्रन्थों, धर्मसिन्धु, निर्णयसिन्धु, भविष्यधर्मोत्तर पुराण, जयसिंह कल्पद्रुम, मुहूर्त चिन्तामणि पीयूषधारा टीका, इंडियन अल्मनाक, प्राचीन आचार्यों के अनुसार दीपावली 31 अक्टूबर को पूर्णतः शास्त्र सम्मत है।

 

*सवाई माधोपुर के पंड़ित बोले- 1 नवंबर को ही दीपावली*

सवाई माधोपुर के आचार्य पंडित ताराचंद शास्त्री ने बताया- इस वर्ष विक्रम संवत 2081 में कार्तिक अमावस्या 31 अक्तूबर गुरुवार को दिन में 03:54 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 01 नवंबर शुक्रवार को सायं 06:17 पर समाप्त होगी। 1 नवम्बर 2024 को श्री महालक्ष्मी पूजन (दीपोत्सव पर्व) उचित होगा। गत वर्ष काशी में कांची काम कोटि पीठ के शंकराचार्य द्वारा आयोजित पंचांग सभा में देश के ख्यातनाम पंचांग कर्ताओं ने भी एक नवंबर को ही दीपावली छापने की एकमत एक राय बनी थी।

 

बीकानेर में ज्योतिषियों के 2 मत

बीकानेर में दीपावली को लेकर ज्योतिषियों के दो मत है। ज्योतिषी सिद्धार्थ जोशी का कहना है कि 31 अक्टूबर को ही दीपावली उचित है। वहीं बीकानेर के विद्वान ज्योतिषी राजेंद्र किराडू का कहना है कि 1 नवंबर को ही दीपावली का श्रेष्ठ मुहूर्त है।

 

*भीलवाड़ा में नगर व्यास बोले- 1 नवंबर को मनाए*

 

भीलवाड़ा में नगर व्यास राजेंद्र व्यास ने बताया-

 

दीपावली का त्योहार अमावस्या के दिन मनाया जाता है और अमावस्या इस बार दोनों दिन रहेगी। 1 नवंबर को पूरे विधि विधान के साथ दीपावली मनाई जाएगी।

 

भरतपुर में 1 नवंबर को दीपावली

भरतपुर में गोपाल जी मंदिर के पंडित जितेंद्र भारद्वाज के अनुसार 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। क्योंकि प्रदोष काल में दीप दान होता। इसी कारण जिले में एक तारीख को दीपोत्सव मनाया जाएगा।

 

*करौली में पंडित बोले- 1 नवंबर ही श्रेष्ठ*

करौली निवासी पंडित मनीष उपाध्याय ने बताया- इस बार जिले में दीपावली का पर्व 1 नवंबर कार्तिक कृष्ण पक्ष शुक्रवार अमावस्या को मनाया जाएगा।

 

*सिरोही के ज्योतिषाचार्य बोले- लक्ष्मी पूजन 31 को श्रेष्ठ*

सिरोही के ज्योतिष एवं वास्तुविद् आचार्य प्रदीप ने बताया- धर्मशास्त्र के अनुसार निर्णय यह है कि 01 नवम्बर को उदयात् तिथि अमावस्या होने से दीपावली पर्व 01 नवम्बर को और लक्ष्मी पूजन 31 अक्टूबर की रात्रि को करना शुभ रहेगा।

 

*धौलपुर में 1 नवंबर की सुबह का मुहूर्त*

धौलपुर के मचकुंड लाडली जगमोहन मंदिर के महंत पंडित कृष्ण दास ने बताया- दीपावली का पर्व उदय की अमावस्या को मनाया जाता हैं। पंचांग के हिसाब से 1 नवंबर की सुबह दीपावली मनाई जाएगी।

 

*बारां में पंडित बोले- 1 नवंबर ही शास्त्र सम्मत*

बारां के श्रीजी मंदिर के पुजारी पंडित वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि जब दो दिन तक अमावस्या हो तो दूसरे दिन दीपपर्व पर लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत होगा। यहां 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी।

 

*चौमूं में आचार्य ने कहा- 1 नवंबर को ही दीपावली*

चौमूं में आचार्य पंडित महेश शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार 1 नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी।

 

*डूंगरपुर में पंडित बोले- 1 नवंबर को दीपावली मनाना श्रेष्ठ*

डूंगरपुर में पंडित संजय पंड्या शास्त्री का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार 1 नवंबर को ही दीपावली मनाना श्रेष्ठ है।

 

*बूंदी में पंडितों के अनुसार 1 नवंबर ही श्रेष्ठ*

बूंदी के पंडित कौशल किशोर शास्त्री के अनुसार जिले में 1 नवंबर को ही दीपावली पर्व मनाना तर्क संगत है।

 

*गंगापुर सिटी में विद्वान बोले- 31 अक्टूबर को दीपावली*

गंगापुर सिटी के विद्वान पंडित अशोक आचार्य ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही लक्ष्मी पूजन किया जा सकता है, ऐसे में दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाए।

 

अलवर में फिलहाल फैसला नहीं

अलवर में ज्योतिषाचार्य और विद्वान 13 अक्टूबर को बैठक करेंगे, जिसमें दीपावली मनाने पर सर्वसम्मति से फैसला लिया जाएगा। फिलहाल दोनों दिन दीपावली पूजन पर सहमति है।

 

*हनुमानगढ़ में 31 अक्टूबर को दीपावली*

हनुमानगढ़ के व्याकरणाचार्य पंडित कन्हैयालाल शास्त्री ने बताया- धर्म सिंधु का निर्णय सर्वोपरि माना जाता है। जिसके अनुसार कहा गया है कि “पूर्वत्रैव प्रदोष व्याप्तौ लक्ष्मीपूजनादौ पूर्वा अभ्यंग स्नान दौ परा” अर्थात यदि कार्तिक अमावस्या दो दिन हो तो उसमें पूर्व दिन लेना चा*राजस्थान में इस बार दीपावली 2 दिन:11 जिलों में 31 को अमावस्या पर सहमति; 16 में 1 नवंबर को… कब है श्रेष्ठ मुहूर्त….?*

 

*जयपुर*

 

दीपावली पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन कौनसा…. राजस्थान में भी इस सवाल के जवाब पर विद्वानों में भ्रम की स्थिति है। कुछ का मानना है कि इस बार दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाए तो वहीं कुछ 1 नवंबर को दीपावली पूजन के पक्ष में है। कार्तिक अमावस्या की तिथि दो दिन होने के कारण दीपावली की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

 

विद्वानों व शास्त्रियों की अलग-अलग राय के कारण 11 जिलों में 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। जबकि अजमेर, भीलवाड़ा समेत 16 शहरों में 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी।

 

वहीं, जोधपुर, बीकानेर समेत 5 जिलों में 2 दिन दीपावली मनाने पर सहमति बनी है। अलवर में ज्योतिषाचार्यों की बैठक के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा।

 

*प्रमुख जिलों के ज्योतिषाचार्य के तर्क और विद्वानों के मत…… ✍️👇*

 

*उदयपुर में पुजारी बोले- दीपावली 1 नवंबर को ही मनाए*

उदयपुर के जगदीश मंदिर के पुजारी रामगोपाल ने दीपावली 1 नवंबर को ही मनाई जाएगी। वे बताते है कि पंचांग के अनुसार अमावस्या 1 नवंबर को है और इसी दिन दीपावली मनाई जाएगी।

 

जिले में महालक्ष्मी मंदिर का संचालन करने वाले श्रीमाली जाति संपत्ति व्यवस्था ट्रस्ट के सचिव मधुसूदन बोहरा ने बताया- यहां पर 1 नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी।

 

*दौसा के विद्वान बोले- 31 अक्टूबर सर्वश्रेष्ठ*

मेहंदीपुर बालाजी धाम के पंडित विश्वप्रकाश अवस्थी का कहना है- कई पंचांग में 1 नवम्बर को दीपावली पर्व बताया गया है। लेकिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि को ही दीपावली मनाई जाती है।

 

वैदिक पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को शाम 4 बजे बाद शुरू होकर 1 नवम्बर को शाम 6.17 बजे तक रहेगी। 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन के कई शुभ मुहूर्त भी हैं। दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाया जाना सर्वश्रेष्ठ है।

 

*श्रीगंगानगर में दीपावली को लेकर दो मत*

श्रीगंगानगर में दीपावली मनाने को लेकर दो मत सामने आए है। पंडित शिवदयाल शास्त्री के अनुसार 31 अक्टूबर को अमावस्या दोपहर 3.52 बजे शुरू होगी। 1 नवंबर को शाम 6.16 बजे तक अमावस्या है। इसके कारण 31 अक्टूबर को दीपावली मनानी चाहिए।

 

वहीं 1 नवंबर को दीपावली मनाने के पक्षधर पंडित बनवारी लाल पारीक का कहना है- दीपावली मनाने के लिए अमावस्या तिथि 24 मिनट तक होना जरूरी है। 1 नवंबर को इससे ज्यादा अवधि तक अमावस्या है। शताब्दी पंचांग, मनीराम पंचांग, दिवाकर पंचांग और मार्तंड पंचांग में भी इसी दिन का समर्थन किया गया है। ऐसे में इसी दिन दीपावली मनाई जानी चाहिए। हालांकि अभी तक क्षेत्र में किसी प्रकार की कोई सामूहिक बैठक नहीं की है।

 

*पाली के पंडित बोले- सिंह लग्न 31 को, तब ही मनाए दीपोत्सव*

 

पाली के पंडित चैतन्य श्रीमाली ने बताया-..

 

31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि में पूर्ण प्रदोष काल होने व अर्धरात्रि व्यापिनी अमावस्या के कारण दीपावली मनाई जानी चाहिए। दीपावली महालक्ष्मी के पूजन और अमावस्या जागरण का पर्व है।

 

स्नान, दान और व्रत के लिए अमावस्या 1 नवंबर को मान्य है। इस दिन प्रदोष काल 6:17 बजे तक है 5:41 पर सूर्यास्त होगा। 6:17 बजे अमावस्या खत्म हो जाएगी। इसके कारण दीपावली का महत्व अमावस्या तिथि की रात्रि को ही माना जाएगा, जो 31 अक्टूबर को रहेगी। शास्त्रों के अनुसार- जो दीपक श्राद्ध होता, वह भी रात्रि-कालीन होता है। अर्थात वह भी 31 को ही मान्य होगा। साथ ही अधिकतर साधक दीपावली पूजन सिंह लग्न में करते हैं। 1 तारीख को सिंह लग्न में अमावस्या नहीं रहेगी।

 

*अजमेर के ज्योतिषाचार्य ने कहा- 1 नवंबर को मनाए*

अजमेर से ज्योतिषाचार्य सुदामा पंडित ने बताया- दीपावली पूजन से पूर्व पितरों की शांति व पितृ पूजा की जाती है। अगर 31 अक्टूबर को दीपावली मनाएंगे तो दूसरे दिन पितरों की पूजा की जाएगी। इसमें दोष लगता है।

 

शास्त्र निर्णय सिंधु में साफ लिखा है- अगर दो दिन अमावस्या हो और प्रदोष व्यापिनी भी हो तो प्रतिपदा तिथि (दूसरे दिन की अमावस्या) दीपावली के लिए उपयुक्त है। इससे पहले चतुर्दशी में आने वाली अमावस्या को दीपावली नहीं मनाई जानी चाहिए। इस लिहाज से दीपावली 31 अक्टूबर को न मानकर 1 नवंबर को ही मनाई जानी चाहिए।

 

जोधपुर में दीपावली मनाने को लेकर दो मत हैं। इसके तहत 31 अक्टूबर और 1 अक्टूबर दोनों ही लक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ बताए हैं।

 

*जोधपुर में दो मत- 31 और 1 दोनों श्रेष्ठ*

 

जोधपुर के पंडित सत्यनारायण ने बताया- दीपावली 31 अक्टूबर को दोपहर 3:54 पर लगेगी, जो 1 नवंबर को 6:17 मिनट तक रहेगी। प्रदोष व्यापानी अमावस्या दीपावली के लिए सबसे उत्तम रहती है। दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या है, लेकिन चतुर्दशी के दिन अमावस्या शास्त्रों में निषेध कहा गया है। इसलिए एक नवंबर को ही दीपावली मनाना उचित रहेगा।

 

*पंडित राम अवतार गौड़ ने बताया-*

 

इस बार निर्णय सिंधु मत अनुसार दीपावली 1 नवंबर को ही मनाई जाएगी। इस दिन प्रतिपदा युक्त अमावस्या है।

 

पंडित भारत दवे ने बताया कि वैष्णव धर्म में उदय तिथि के अनुसार ही सम्पूर्ण दिन माना जाता है, लेकिन स्मार्त धर्म में घटी पल के अनुसार तिथि बदलती है और वही मान्य होती है। दूसरी बात प्रदोष काल के अनुसार और रात्रि कालीन समय की संपूर्ण ब्यख्य अनुसार 31 की दीपावली श्रेष्ठ है।

 

*चित्तौड़गढ़ में महंतों के अनुसार 1 नवंबर ही शास्त्र सम्मत*

चित्तौड़गढ़ के हजारेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्री चंद्र भारती महाराज ने बताया- दीपावली सिर्फ रात के लिए नहीं होती। 31 अक्टूबर की दोपहर को अमावस्या शुरू होगी। अमावस्या में प्रदोष काल पहले दिन है और दूसरे दिन प्रहर तीन दिन होगी। दूसरे दिन भी प्रतिपदा वृद्धि गामिनी होकर तीन प्रहर के उपरांत समाप्त हो रही है। इसके कारण लक्ष्मी पूजन अगले दिन (अमावस्या) में ही करें। शास्त्रों के अनुसार 1 नवंबर दीपावली मनाना ही शास्त्र सम्मत होगा।

 

*जैसलमेर के विद्वानों का तर्क- दीपावली 31 अक्टूबर को, दान 1 को करें*

जैसलमेर के ज्योतिषाचार्य उमेश आचार्य का कहना है- 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि में पूर्ण प्रदोष काल होने व अर्ध रात्रि व्यापिनी अमावस्या के कारण दीपावली मनाई जाएगी। दीपावली महालक्ष्मी के पूजन और अमावस्या जागरण का पर्व है। दीपावली के लिए अर्ध रात्रि व्यापिनी अमावस्या का होना आवश्यक है, अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3.53 बजे शुरू होगी और 1 नवंबर को सायं 6.17 बजे तक रहेगी। अर्ध रात्रि व्यापिनी अमावस्या 31 अक्टूबर को होने पर दीपावली पर्व 31 अक्टूबर को ही होगा l स्नान, दान व व्रत के लिए अमावस्या 1 नवंबर को मान्य है।

 

*कोटा के विद्वानों की राय- 31 को करें लक्ष्मी पूजन*

कोटा के ज्योतिषाचार्य देवेंद्र ने बताया- इस बार अमावस्या की रात 31 तारीख को होगी। ऐसे में दीपावली का पूजन अमावस्या की रात यानी 31 तारीख को ही किया जाएगा। हालांकि अमावस्या तिथि का कुछ अंश 1 नवंबर में भी है, लेकिन वह उदया तिथि में होगा। 1 तारीख की रात अमावस्या नहीं है, इसलिए कोटा में 31 की रात ही दीपावली पूजन श्रेष्ठ रहेगा।

 

वहीं कोटा के ही आचार्य अमित जैन के अनुसार- दीपावली का योग इस बार दो दिन है। 31 और 1 दोनों दिन ही दीपावली मनाई जा सकती है, लेकिन दीपावली पूजन यानी लक्ष्मी पूजन तो 31 को ही होगा, क्योंकि अमावस्या की रात इसी दिन है। दूसरे दिन एक तारीख को उदया दीपावली मानी जाएगी, यानी इस दिन उदया तिथि में अमावस्या लग रही है, लेकिन पूजन का विधान अमावस्या की रात का है। ऐसे में पूजा 31 अक्टूबर को ही होगी और दीपावली इसी दिन मनाई जाएगी। हालांकि दूसरे दिन भी लोग दीपावली मना सकते हैं।

 

*नागौर के पंडितों का तर्क- 31 अक्टूबर ही उपयुक्त*

नागौर के पंडित मोहन राम स्वामी का कहना है- ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तिक माह में जब प्रदोष काल और मध्यरात्रि में अमावस्या तिथि हो, तभी दीपावली मनाई जाती है। माना जाता है कि कार्तिक माह की अमावस्या की मध्यरात्रि के पहर में लक्ष्मी माता विचरण करती हैं और जहां उनका पूजन होता हुआ मिलता है तो वहां उन्हें खुशी होती है।

 

31 अक्टूबर को अर्द्धव्यापिनी अमावस्या है। संवत 2019 में भी ऐसी ही असमंजस की स्थिति बनी थी, तब भी रात्रिकालीन तिथि के अनुसार निर्णय लिया गया था। दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाना उपयुक्त है

 

जालोर के ज्योतिषाचार्यों का मत- 1 नवंबर को ही मनाए दीपावली

ज्योतिषाचार्य पंडित भानू प्रकाश दवे ने बताया- 31 अक्टूबर को पूर्ण अमावस्या है और 1 नवंबर को भी अमावस्या है। शास्त्रों के अनुसार दूसरा दिन ही पूजन के लिए मान्य रहता है। इसके कारण दूसरे दिन 1 नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी।

 

*चूरू में 31 अक्टूबर पर सहमति*

 

पंडित महेन्द्र शास्त्री ने बताया-

 

दीपावली पर्व रात्रिकाल का आयोजन है। इस बार 31 अक्टूबर को दोपहर 3:54 बजे से अमावस्या शुरू होगी। फिर 1 नवंबर को 6:16 बजे समाप्त होगी। चूरू के विद्वान जनों ने सर्वसम्मति से दीपावली पर्व 31 अक्टूबर को मनाने का निर्णय लिया है।

 

*सीकर में विप्रों की बैठक, 31 अक्टूबर को दीपावली*

सीकर के पंडित विक्रम जोशी के अनुसार- सीकर में 31 अक्टूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। दीपावली का त्यौहार हिंदू धर्म में सबसे बड़ा त्यौहार है। सीकर का पंचांग श्रीमानव पंचांग है। जिसे वल्लभ मणिराम के नाम से भी जानते हैं, उसमें भी दीपावली का पर्व चतुर्दशी को 31 अक्टूबर को ही दिया गया है। ऐसे में सीकर में सभी 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएंगे।

 

विप्रों की जो कमेटी बनी है, उसके द्वारा भी यह निर्णय लिया गया है कि 31 अक्टूबर को ही दीपावली का त्यौहार मनाया। इस बार अलग-अलग समय दीपावली होना अक्षांश और रेखांश का फर्क है। उदाहरण के तौर पर असम में सूर्योदय 4:00 बजे होता है। जबकि हमारे यहां पर 1 घंटे का फर्क है। सीकर में 5:00 बजे होता है। इसी कारण विप्रों की कमेटी का निर्णय ही सर्वमान्य रहेगा।

 

*जयपुर के विद्वान बोले- दोनों दिन कर सकते हैं पूजन*

 

जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम सेवक दुबे कहते हैं- इसमें किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है कि हम 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएं या 1 नवंबर को नहीं मनाएं। हम दोनों ही दिनों में लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं।

 

वहीं विश्वविद्यालय के ही वेदवेदांग संकायाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार शर्मा ने बताया- ज्योतिष के प्रामाणिक ग्रन्थों, धर्मसिन्धु, निर्णयसिन्धु, भविष्यधर्मोत्तर पुराण, जयसिंह कल्पद्रुम, मुहूर्त चिन्तामणि पीयूषधारा टीका, इंडियन अल्मनाक, प्राचीन आचार्यों के अनुसार दीपावली 31 अक्टूबर को पूर्णतः शास्त्र सम्मत है।

 

*सवाई माधोपुर के पंड़ित बोले- 1 नवंबर को ही दीपावली*

सवाई माधोपुर के आचार्य पंडित ताराचंद शास्त्री ने बताया- इस वर्ष विक्रम संवत 2081 में कार्तिक अमावस्या 31 अक्तूबर गुरुवार को दिन में 03:54 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 01 नवंबर शुक्रवार को सायं 06:17 पर समाप्त होगी। 1 नवम्बर 2024 को श्री महालक्ष्मी पूजन (दीपोत्सव पर्व) उचित होगा। गत वर्ष काशी में कांची काम कोटि पीठ के शंकराचार्य द्वारा आयोजित पंचांग सभा में देश के ख्यातनाम पंचांग कर्ताओं ने भी एक नवंबर को ही दीपावली छापने की एकमत एक राय बनी थी।

 

बीकानेर में ज्योतिषियों के 2 मत

बीकानेर में दीपावली को लेकर ज्योतिषियों के दो मत है। ज्योतिषी सिद्धार्थ जोशी का कहना है कि 31 अक्टूबर को ही दीपावली उचित है। वहीं बीकानेर के विद्वान ज्योतिषी राजेंद्र किराडू का कहना है कि 1 नवंबर को ही दीपावली का श्रेष्ठ मुहूर्त है।

 

*भीलवाड़ा में नगर व्यास बोले- 1 नवंबर को मनाए*

 

भीलवाड़ा में नगर व्यास राजेंद्र व्यास ने बताया-

 

दीपावली का त्योहार अमावस्या के दिन मनाया जाता है और अमावस्या इस बार दोनों दिन रहेगी। 1 नवंबर को पूरे विधि विधान के साथ दीपावली मनाई जाएगी।

 

भरतपुर में 1 नवंबर को दीपावली

भरतपुर में गोपाल जी मंदिर के पंडित जितेंद्र भारद्वाज के अनुसार 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। क्योंकि प्रदोष काल में दीप दान होता। इसी कारण जिले में एक तारीख को दीपोत्सव मनाया जाएगा।

 

*करौली में पंडित बोले- 1 नवंबर ही श्रेष्ठ*

करौली निवासी पंडित मनीष उपाध्याय ने बताया- इस बार जिले में दीपावली का पर्व 1 नवंबर कार्तिक कृष्ण पक्ष शुक्रवार अमावस्या को मनाया जाएगा।

 

*सिरोही के ज्योतिषाचार्य बोले- लक्ष्मी पूजन 31 को श्रेष्ठ*

सिरोही के ज्योतिष एवं वास्तुविद् आचार्य प्रदीप ने बताया- धर्मशास्त्र के अनुसार निर्णय यह है कि 01 नवम्बर को उदयात् तिथि अमावस्या होने से दीपावली पर्व 01 नवम्बर को और लक्ष्मी पूजन 31 अक्टूबर की रात्रि को करना शुभ रहेगा।

 

*धौलपुर में 1 नवंबर की सुबह का मुहूर्त*

धौलपुर के मचकुंड लाडली जगमोहन मंदिर के महंत पंडित कृष्ण दास ने बताया- दीपावली का पर्व उदय की अमावस्या को मनाया जाता हैं। पंचांग के हिसाब से 1 नवंबर की सुबह दीपावली मनाई जाएगी।

 

*बारां में पंडित बोले- 1 नवंबर ही शास्त्र सम्मत*

बारां के श्रीजी मंदिर के पुजारी पंडित वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि जब दो दिन तक अमावस्या हो तो दूसरे दिन दीपपर्व पर लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत होगा। यहां 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी।

 

*चौमूं में आचार्य ने कहा- 1 नवंबर को ही दीपावली*

चौमूं में आचार्य पंडित महेश शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार 1 नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी।

 

*डूंगरपुर में पंडित बोले- 1 नवंबर को दीपावली मनाना श्रेष्ठ*

डूंगरपुर में पंडित संजय पंड्या शास्त्री का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार 1 नवंबर को ही दीपावली मनाना श्रेष्ठ है।

 

*बूंदी में पंडितों के अनुसार 1 नवंबर ही श्रेष्ठ*

बूंदी के पंडित कौशल किशोर शास्त्री के अनुसार जिले में 1 नवंबर को ही दीपावली पर्व मनाना तर्क संगत है।

 

*गंगापुर सिटी में विद्वान बोले- 31 अक्टूबर को दीपावली*

गंगापुर सिटी के विद्वान पंडित अशोक आचार्य ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही लक्ष्मी पूजन किया जा सकता है, ऐसे में दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाए।

 

अलवर में फिलहाल फैसला नहीं

अलवर में ज्योतिषाचार्य और विद्वान 13 अक्टूबर को बैठक करेंगे, जिसमें दीपावली मनाने पर सर्वसम्मति से फैसला लिया जाएगा। फिलहाल दोनों दिन दीपावली पूजन पर सहमति है।

 

*हनुमानगढ़ में 31 अक्टूबर को दीपावली*

हनुमानगढ़ के व्याकरणाचार्य पंडित कन्हैयालाल शास्त्री ने बताया- धर्म सिंधु का निर्णय सर्वोपरि माना जाता है। जिसके अनुसार कहा गया है कि “पूर्वत्रैव प्रदोष व्याप्तौ लक्ष्मीपूजनादौ पूर्वा अभ्यंग स्नान दौ परा” अर्थात यदि कार्तिक अमावस्या दो दिन हो तो उसमें पूर्व दिन लेना चाहिए। इस बार 31 अक्टूबर की अमावस्या प्रदोष और रात्रि में ही मिलेगी, इसलिए दीपावली शास्त्रानुसार 31 अक्टूबर को मनाना शास्त्र संवत हैहिए। इस बार 31 अक्टूबर की अमावस्या प्रदोष और रात्रि में ही मिलेगी, इसलिए दीपावली शास्त्रानुसार 31 अक्टूबर को मनाना शास्त्र संवत है

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