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अजमेर।  जयपुर, 18 सितम्बर। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में देश विश्वभर में अग्रणी बने। इसके लिए प्रौद्योगिकी संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए सभी मिलकर कार्य करें। उन्होंने राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षण संस्थाओं को शोध अनुसंधान में मौलिक दृष्टि रखते कार्य करने, पर्यावरण अनुकूल तकनीक अपनाने और विकसित भारत की संकल्पना के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य करने का आह्वान किया।

श्रीमती मुर्मु बुधवार को एमएनआईटी के 18 वे दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि इस समारोह में 20 में से 12 स्वर्ण पदक छात्राओं को मिलने पर प्रसन्नता जताई तथा कहा कि लड़कियां आगे बढ़ती है तो देश तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि शोध अनुसंधान में भी छात्राएं आगे रहती है तो इससे देश वैश्विक स्तर पर अग्रणी रहेगा। उन्होंने संस्थान की फैकल्टी में एक तिहाई महिलाएं होने को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि देश के प्रौद्योगिकी संस्थानों को इसीलिए नेशनल इंस्टीटूट के रूप में राष्ट्र महत्व के संस्थान का दर्जा दिया गया है कि इनके जरिए भारत तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़े। 

राष्ट्रपति ने समारोह में 805 स्नातक, 477 स्नातकोत्तर और 79 पीएचडी विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की और 20 स्वर्ण पदक प्रदान किए। उन्होंने छात्रों के लिए निर्मित अरावली छात्रावास का लोकार्पण भी किया। 

राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने कहा देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘विकसित भारत 2047’ की जो संकल्पना संजोई है, उसका मूल आधार ही यही है कि भारत सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास की ओर आगे बढें। इसमें युवाओं की भूमिका ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने युवाओं से अर्जित तकनीकी ज्ञान का राष्ट्र के विकास में उपयोग करने पर जोर दिया। 

श्री बागडे ने एमएनआईटी में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ विभाग की स्थापना की सराहना की तथा कहा कि युवा टेक्नोक्रेट्स के लिए आने वाले समय में इससे महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि यांत्रिक ज्ञान जरूरी है, परन्तु इस ज्ञान के साथ यदि नैतिक और मानवीय मूल्य जुड़े रहेंगे तभी हम सबका साथ, सबका विकास को सही मायने में सफलीभूत कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति राष्ट्र की बौद्धिक संपदा हैं। उन्हें देश के लोकतंत्र और बहुलता के आदर्शों को पूरी तरह से समझते हुए ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भारतीय संस्कृति और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन’ के अंतर्गत सबके मंगल की कामना को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने सभी को राष्ट्र आराधना करते हुए देश और समाज की उन्नति के लिए कार्य करने का आह्वान किया।

उन्होंने विद्यार्थियों को व्यसन मुक्त रहते अपने अंदर नैतिक गुणों का अधिक से अधिक विकास किए जाने का आह्वान किया। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रकृति के साथ तालमेल रखने, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहने और जो भी काम मिले, उसे लगन से करने पर जोर दिया।

श्री बागडे ने कहा कि प्रयास रहेगा कि राजस्थान के सभी विश्वविद्यालय नैक रैंकिंग प्राप्त करें। पूरे देश में राज्य के विश्वविद्यालय गुणवत्ता की शिक्षा में अग्रणी रहें। उन्होंने संस्थान के आचार्यों का आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि के लिए कार्य करें।नई शिक्षा नीति की मंशा के अनुरूप विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा प्रदान करे जिससे वे रोजगार पाने के योग्य नहीं बल्कि रोजगार देने वाले बनें।

मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा ने कहा कि युवा नए नए विचारों के साथ समाज और राष्ट्र उत्थान के लिए कार्य करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर वर्ष 4 लाख सरकारी नौकरियां प्रदान करने लिए प्रतिबद्ध है।

श्री शर्मा ने कहा कि इस वर्ष भी राज्य सरकार एक लाख युवाओं की भर्ती करने जा रही है। उन्होेने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही युवा नीति 2024 लाने जा रही है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में दक्षता विकास के लिए राज्य सरकार स्टेट स्किल पॉलिसी भी लाने जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार युवाओं को नए स्टार्ट अप प्रारंभ करने और युवा उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए असीमित अवसर प्रदान कर रही है।

एमएनआईटी के निदेशक प्रो. एन. पी. पाढ़ी ने संस्था का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि संस्थान को शोध और अनुसंधान में 15 पेटेंट मिले हैं। उन्होंने विश्वास दिलाया कि भविष्य में एमएनआईटी विश्वभर में अग्रणी संस्थान बने।

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