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              अजमेर, 30 जुलाई। खरीफ की फसलों को कीटों से बचाने के लिए किसानों को कीटनाशकों का उपयोग करने का सुझाव दिया है। 

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक श्री शंकर लाल गीणा ने बताया कि खरीफ की फसलों में जिले के विभिन्न स्थानों पर कीटों के प्रकोप की जानकारी प्राप्त हुई है। मानसून के दौरान कीटों के लिए भी अनुकूल परिस्थिति रहती है। कृषि विभाग के विशेषज्ञों द्वारा कीट नियन्त्राण के लिए विभिन्न कीटनाशकों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। 

                कृषि अधिकारी (सामान्य) श्री पुष्पेन्द्र सिंह ने खरीफ की फसलों में कातरा के नियन्त्राण के बारे में सुझाव दिए है। बाजरा, ज्वार, मूंग व मूंगफली में कातरा के नियंत्राण के लिए फसल व फसल के पास उगे जंगली पौधों पर क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव करें एवं खेत में लट को आने से रोकने के लिए खेत के चारों ओर खाई खोदकर खाई में क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण भुरक देवें ताकि खाई में आने वाली लटे नष्ट हो जायें। जहां पानी की उपलब्धता हो वहां क्यूनालफॉस 25 ईसी 625 मिली या क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी एक लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। 

                 कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. दिनेश स्वामी के द्वारा भी कीटनाशक सुझाए गए। मक्का में फाल आर्मी वर्ग कीट के नियंत्राण के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिशत एसजी 6 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर पोटों में डाले। गोभी में डायमण्ड बैक मोथ के नियत्राण के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिशत एसजी 200 ग्राम प्रति 500 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिडकाव करें। कपास में रस चूसक कीट जैसे जैसिड व सफेद मक्खी के नियंत्राण के लिए एक लीटर क्यूनालफॉस 25 ईसी या डायमिथेएट 30 ईसी प्रति हैक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। 

                 इसी प्रकार कृषि अधिकारी (फसल) डॉ. पुष्पा कंवर ने मूंगफली में प्रभावी कीट नियन्त्राण की बात कही। मूंगफली में सफेद लट के नियंत्राण के लिए 300 मिली इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल प्रति हैक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ देवें अथवा कीटनाशी रसायन को सूखी बजरी या खेत की साफ मिट्टी (80-100 किलो प्रति हैक्टेयर) में अच्छी तरह मिलाकर पौधों की जड़ों के आस-पास डाल दें एवं फिर हल्की सिंचाई करें ताकि कीटनाशी पौधों की जड़ों तक पहुंच जाए। मूंगफली में कॉलर रॉट के नियंत्राण के लिए आगामी सीजन में बुवाई पूर्व फफूंदनाशी से बीजोपचार करे एवं बुवाई से पूर्व 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा 500 किलो गोबर में मिलाकर एक हैक्टेयर क्षेत्रा में मृदा उपचार करें। टिक्का रोग की शुरुआती अवस्था में ही कार्बेन्डाजिम आधा ग्राम प्रति लीटर पानी या मैन्कोजेब डेढ किलो प्रति हैक्टेयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें एवं 10-15 दिन बाद छिड़काव पुनः दोहराएं।

             कृषि अधिकारी (पौध संरक्षण) श्री मुकेश माली ने बाजरा में फड़का नियंत्राण के लिए क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टयर की दर से भुरकाव करने की सलाह दी। मिर्च में पर्ण कुंचन रोग व सफेद मक्खी कीट के नियंत्राण के लिए कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा द्वारा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल एक मिली प्रति 3 लीटर पानी या डायमिथेएट 30 ईसी एक मि.ली. प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करने के लिए कहा गया। साथ ही पर्ण कुंचन रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबा कर नष्ट करें। 

 

 

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