Sun. Oct 6th, 2024
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अजमेर।  उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदरा राव क्षेत्र में सत्संग के समापन के अवसर पर मची *भगदड़, अव्यवस्था और अनियंत्रित भीड़ के कारण 130* अधिक से श्रद्धालुओं की मृत्यु का समाचार मन को विचलित करने वाला है. इस घटना पर देश के *महा महिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री ने शोक* व्यक्त किया है . 

उत्तर प्रदेश के *मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अपने डीजीपी और मुख्य सचिव का घटना स्थल* पर भेजा है और मृतक परिवार को ₹200000 और घायल को ₹50000 का मुआवजे का ऐलान भी किया है. सरकार ने बचाव कार्य जारी हैं और निकट के अस्पतालों से डॉक्टरों की टीम को बुलाया गया है.*इस दुखद घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी दुख व्यक्त किया है*.  

इस घटना से भारी जान माल का नुकसान हुआ है उसकी भरपाई नहीं की जा सकती. इसकी *जिम्मेदारी किसकी होगी यह विवेचना* का प्रश्न हो सकता है . 

*यह* जिला अधिकारी की जानकारी में था? 

*क्या* पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था?

*क्या* आयोजकों ने अपने वॉलिंटियरों को नियुक्त किए थे? 

*क्या* आयोजन स्थल पर फायर ब्रिगेड का इंतजाम था ? 

*एंबुलेंस* और मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. 

सरकार के द्वारा इन सभी प्रश्न पर *गंभीरता से जांच* की जानी चाहिए. भविष्य में उत्तर प्रदेश सरकार *गाइडलाइन जारी करें और आयोजको से कड़ाई से पालन* कराया जाए ताकि ऐसी घटना की पूर्णावर्ती ना हो। धार्मिक सत्संगों का आयोजन *अधिक सतर्कता* के साथ किया जाना चाहिए था क्योंकि यह भावना और आस्था से जुड़ा होता है और *बड़ी संख्या में श्रद्धालु सत्संग में जाते हैं* .

यह कड़वा सच है कि है *यह पहली घटना नहीं है और यह आखिरी घटना* भी नहीं होगी. इसलिए राज्य सरकार और *स्थानीय सरकार को विशेष कर धार्मिक कायक्रम में जहां लाखों की संख्या में लोग श्रद्धा पहुंचते हैं *उनकी व्यवस्था की जिम्मेदारी आयोजक के साथ-साथ जिला प्रशासन की भी सुनिश्चित* की जानी चाहिए. किसी अप्रिय घटना होने पर पुलिस अपना कार्य करती है आयोजक का धर पकड़ करती है *लेकिन इंसान की मृत्यु का कितना ही मुआवजा दिया जाए कम* है। 

आस्था के नाम पर *भीड़ जिस तरह बेतहाशा बढ़ती* जा रही है *धार्मिक भावनाएं पीछे छूट* जा रही है इसका दुष्परिणाम हम आज की घटना में देख रहे हैं इस पर *सभी धर्म गुरुओं को धार्मिक संस्थाओं को विचार करने की आवश्यकता है।

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