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           अजमेर, 20 मई। ग्रीष्म ऋतु में लू के प्रकोप से पशुओं को बचाने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा एडवाईजरी जारी की गई है। 

             पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डाॅ. प्रफुल्ल माथुर ने बताया कि वर्तमान में ग्रीष्म ऋतु काल एवं सम्भावित लू-प्रकोप से पशुओं के बचाव के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था के सम्बन्ध में सभी पशुपालकों द्वारा एडवाईजरी के अनुसार कार्यवाही समयबद्ध रूप से की जानी चाहिए। पशुओं को धूप, ताप, लू से बचाने के लिए सभी पशुपालक संधारित पशुओं के लिए पर्याप्त छाया की व्यवस्था करें। शेड को गर्म हवाओं के प्रकोप से बचाने के लिए तिरपाल अथवा टाट-बोरे से ढकें। पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा, भूसा एवं पशुआहार की व्यवस्था के लिए पशुपालक समुचित व्यवस्था करें। पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ जल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। 

             उन्होंने बताया कि बीमार तथा अशक्त पशुओं के लिए निकटस्थ पशुचिकित्सा संस्था से सम्पर्क कर सम्बन्धित पशुचिकित्सा कार्मिकों की देखरेख में उपचार की व्यवस्था की जाए। संधारित गर्भवती एवं असहाय पशुओं की विशेष देखभाल की जाए एवं आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सालय उपचार की व्यवस्था हो। आगजनी से पशुओं के बचाव के समुचित प्रबन्ध किए जाए। मृत पशुओं के शव का निस्तारण यथाशीघ्र सुरक्षित एवं सम्माजनक ढंग से किया जाए। इससे गर्मी के कारण शव का पुट्रीफिकेशन (विपटन) न होने पाए और बीमारी का खतरा उत्पन्न नहीं हो। 

              उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में पशुओं के खान-पान में कमी, दुग्ध उत्पादन में 10 से 25 प्रतिशत की गिरावट, दुध के वसा के प्रतिशत में कमी एवं प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी के लक्षण दिखाई देते है। इससे पशु हांफने लग जाता है। मुंह से लार गिरने लगती और पशु चारा-दाना कम खाने लगता है। पशुओं के लिए पानी सबसे मुख्य पौषक तत्व है। अतः पशुओं को ताजा, ठण्डा एवं स्वच्छ पानी भरपूर मात्रा में पिलाएं। दुधारू पशुओं को उपलब्ध हरा चारा एवं घास खिलाई जाए। इससे दुग्ध उत्पादन में कमी नहीं होगी। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बनी रहेगी। पशुओं को नियमित रूप से खनिज-लवण की पूर्ति भी की जानी चाहिए।

 

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