अजमेर। कोड़ा मार होली खेलने राजस्थान से बहार के खिलाड़ी आते हैं।450 साल पुरानी अजमेर के भिनाय में आज भी यह परम्परा धुलंडी पर नजर आती है।पीढिय़ां बीतने के बाद भी सदियों पुरानी धमाल की रंगत में कुछ नहीं बदला है। वर्ष भर रोजमर्रा की आपाधापी में रहने वाले समाज के युवा व नौकरीपेशा लोग धुलंडी पर धमाल में गुलाल में सराबोर हो ढोल-नगाड़े की थाप पर नाचते नजर आते हैं। परम्परागत ठड्डा गीतों की स्वर लहरियां भी आधुनिकता पर भारी हैं। इस परम्परा में पूरा राजस्थान दो हिस्सों में बट जाता है। 5 फिट के रस्से से एक दूसरे को पिटते है।