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अजमेर 15 फरवरी। क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, अजमेर में 15 फरवरी को प्रकृति मेले का शुभारम्भ श्री वासुदेव देवनानी, अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा के कर कमलों से हुआ। मेले के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि श्री वासुदेव देवनानी के साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में रामकृष्ण मिशन, अजमेर के स्वामी द्वारकेशानन्द उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन व सरस्वती वंदना के साथ हुआ। संस्थान के प्राचार्य प्रो॰ एस.वी. शर्मा ने मुख्य अतिथि का शॉल, पुष्पगुच्छ व पौधे से स्वागत किया। स्वामी द्वारकेशानन्द का स्वागत संस्थान के अधिष्ठाता प्रो॰ बी.बरठाकुर ने किया। प्रो॰ एस.वी. शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबन्धन, जैव विविधता संरक्षण और सतत् विकास पर प्रकाश डाला।इसी के अनुरूप संस्थान द्वारा प्रकृति मेले का आयोजन किया जा रहा है। डॉ॰वेदप्रकाश आर्य ने प्रकृति मेले के उद्देश्यों के बारे में बताया।

 

इस अवसर पर अपने उद्बोधन में विशिष्ट अतिथि स्वामी द्वारकेशानन्द ने याद दिलाया कि भारतीय लोग भौतिकवादी न होकर मूल रूप से अध्यात्मवादी हैं। अन्धाधुंध उपभोग की प्रवृति पर्यावरण के लिए घातक है। अपनी आवश्यकताएँ सीमित रखकर हम पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं। सत्र के मुख्य अतिथि श्री वासुदेव देवनानी ने अपने उद्बोधन में कहाकि बच्चे आज के नागरिक हैं और उनमे जिज्ञासा उत्पन्न करना शिक्षकों का उत्तरदायित्व है।हम भारतीय पृथ्वी को माता मानने वाले और जल, थल, नभ सबकी शांति की कामना करने वाले लोग हैं। हमें प्रकृति का दोहन नहीं करके उसको सहेजने की आवश्यकता है । इसके लिए वृक्षारोपण, प्रकृति के अनुकूल सादा जीवन शैली, जल व अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना होगा। उन्होंने बल देकर कहा कि संस्कारवान व वैज्ञानिक सोच वाले विद्यार्थी ही स्वस्थ, जागरूक व विकसित भारत के आधारभूत स्तम्भ हैं। इस अवसर परमाननीय श्री वासुदेव देवनानी ने संस्थान को प्रकृति मेले के आयोजन पर बधाई दी तथा आशाव्यक्त की संस्थान इस प्रकार के आयोजन निरंतर करता रहेगा और नित नई ऊँचाईयो को प्राप्त करेगा।

 

इस प्रकृति मेले में पर्यावरण की विभिन्न थीमों पर 25 स्टॉल लगाए गए, जिनमें विकसित भारत 2047, मोटा अनाज, अंतरिक्ष प्रदूषण, समुद्र के लवणीय जल को पीने योग्य बनाना, स्मार्ट व पर्यावरण अनुकूल शहर, जैविक कृषि, घरेलू जल का उपचारण, पर्यावरण संरक्षण पर भारतीय ज्ञान प्रणाली, मरूस्थलीकरण की रोकथाम, पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा आदि विषयों पर कार्यकारी मॉडल प्रदर्शित किए गए। अजमेर के स्थानीय विद्यालयों के विद्यार्थियों ने प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में भाग लिया। इन विद्यार्थियों के लिए निबन्ध लेखन, नारा लेखन व चित्रकला प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ॰वेदप्रकाश आर्य तथा आयोजन सह-सचिव डॉ॰ओमप्रकाश मीणा हैं। मेले का समापन कल दिनांक 16 फरवरी को होगा, जिसमें एम.डी.एस. विश्वविद्यालय अजमेर के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो॰सुब्रोतोदत्ता मुख्य अतिथि रहेंगे तथा प्रो॰नगेन्द्र सिंह पूर्व अधिष्ठाता शोध, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, अजमेर विशिष्ट अतिथि होंगे।

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