अजमेर, 9 नवम्बर। शिक्षा मंत्री श्री मदन दिलावर ने कहा कि शिक्षा में मानवीय मूल्यों का समावेश बहुत जरूरी है। इसी से समाज उन्नत और प्रगतिशील बनेगा। राजस्थान सरकार ने इस दिशा में तेजी से कदम उठाए हैं। शीघ्र ही इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
शिक्षा मंत्री श्री मदन दिलावर ने रविवार को अजमेर में शिक्षा विभाग के प्राधानाचार्यों की आमुखीकरण कार्यशाला को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि मैं आप सब को इस कार्यशाला के आयोजन की बधाई देता हूँ। राजस्थान के इतिहास में पहली बार शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रकार की कार्यशाला हो रही है। किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि सरकारी शिक्षा विभाग में इस प्रकार की कार्यशाला होगी। जो मानवीय मूल्यों का समावेश करने का प्रयत्न करेगी। मन की इच्छा थी कि इस प्रकार की कार्यशाला आयोजित हो जिसमें शिक्षा में संस्कारों का समावेश हो। कुम्भलगढ़ में एक चिंतन बैठक में शिक्षा से संबंधी विषयों पर चर्चा हुई थी जिसमें से एक विषय ये भी था और आज इसकी परिणीति हो रही है।
उन्होंने कहा कि मैं गुरूओं में गुरू वशिष्ठ जी, गुरू समर्थ रामदास जी, श्री रामकृष्ण परमहंस जी के दर्शन कर रहा हूँ और हम सबका दायित्व है कि हम को श्रीराम, शिवाजी और विवेकानन्द जैसे नागरिक खड़े करने है। यह तभी संभव होगा जब व्यक्ति में मानवीय मूल्य होंगे। इस दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षा अनन्त है और हमारे देश के लोगों ने शिक्षा के क्षेत्र में ऊंचे शिखर को छुआ है, कई क्षेत्रों में गोल्ड मैडल प्राप्त किए है, बहुत प्रसिद्धि भी प्राप्त की है। कई लोगों ने देश का प्रथम स्थान भी पाया होगा। कई बार देखने को मिलता है कि देश के संकट के समय कुछ लोग देश को संकट में डालने वाले लोगों के साथ खड़े हो जाते हैं। दूसरी तरफ ऎसे लोग जिन्होंने इतनी शिक्षा प्राप्त नहीं की है, उन्होंने गोल्ड मैडिल भी प्राप्त नहीं किया होगा वो लोग देश के संकट के समय में देश को उभारने वालों के साथ खड़े रहते हैं। इसका कारण है कुछ लोगों में मानवीय मूल्य और संस्कार थे और कुछ में नहीं थे। इसलिए आज के समय में शिक्षा में मानवीय मूल्यों की आवश्यकता है। लोग अच्छी नौकरी या पद पर भी पहुंच सकते हो लेकिन यदि मानवीय मूल्य नहीं होंगे तो ऎसे लोग देश के अच्छे नागरिक नहीं बन सकते है।
कार्यशाला में शिक्षा मंत्री श्री मदन दिलावर ने उपस्थित समस्त प्राचार्यों व गणमान्यजनों से आग्रह किया कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला में जो आपने पाया है उसको स्वयं आत्मसात भी करें और अपने आप को ऎसा बनाकर छात्रों के सामने भी प्रस्तुत करें। इस प्रकार की शिक्षा देने का प्रयत्न करें जिसमें मानवीय मूल्य और संस्कार हो। यदि आने वाले समय में अच्छे नागरिक खड़े हो जाएंगे तो देश में भारत माता का नुकसान पहुंचाने वाला और अपमान करने वाला कोई नहीं दिखेगा, हमें सड़क पर कोई भूखा व्यक्ति दिखाई नहीं देगा, कोई बेटा अपनी मां को वृद्धाश्रम नहीं भेजेगा। हम सब लोगों ने मिलकर सोचा कि क्यों ना शिक्षा में मानवीय मूल्यों का समावेश हो और इसकी शुरूआत राज्य सरकार ने इस कार्यशाला से की। यह आवश्यक हो गया है, सरकार पहले से ही शिक्षा को रोजगारपरख और मानवीय मूल्य से ओतप्रोत बना रही है। वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस कार्यशाला के आयोजन करने पर भी विभाग बधाई का पात्र है।
कार्यक्रम को शिक्षा मंत्री के ओएसड़ी श्री सतीश कुमार गुप्ता, एनसीयूएचबी एआईसीटी नई दिल्ली के चैयरमैन प्रो. एस.डी. चारण, यूपी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाईन के डायरेक्टर डॉ. कुमार सम्भव, आनंद विभाग मध्यप्रदेश शासन के डायरेक्टर श्री सत्यप्रकाश, यूएचबीएसआईटी फाउण्डेशन के वाईस चैयरमैन श्री राजुल अस्थाना, शिक्षा विभाग अजमेर संभाग के संयुक्त निदेशक श्री अनिल कुमार शर्मा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी श्री जय नारायण ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव श्री गजेन्द्र सिंह राठौड़ उपस्थित रहे।
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