अजमेर, 26 अगस्त। आगामी त्यौहारों के दौरान मूर्ति विसर्जन की प्रक्रिया पूरी आस्था के साथ पर्यावरण हितैषी भी होनी चाहिए।
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की वरिष्ठ पर्यावरणीय अभियंता निधि खण्डेलवाल ने बताया कि आगामी गणेश महोत्सव एवं दुर्गा महोत्सव-2025 के दौरान आमजन द्वारा जल कुण्डों एवं तालाबों में मूर्ति विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के पश्चात मूर्ति की बेअदबी और जल को प्रदूषण से बचाने के लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, नई दिल्ली द्वारा मूर्ति विसर्जन के लिए संशोधित मार्गदर्शिका जारी की गई है।
उन्होंने बताया कि मार्गदर्शिका के अनुसार मूर्ति के निर्माण के लिए प्राकृतिक मिट्टी एवं बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। मूर्तियों की सजावट के लिए प्राकृतिक रंगो और बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग सुनिश्चित करें। जल निकायों में विर्सजन के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) आधारित मुर्तियों की अनुमति नहीं दी जाए। ऐसी मूर्तियों को केवल अस्थाई तालाब तथा निकायों द्वारा निर्धारित स्थान पर ही विर्सजित किया जाना चाहिए। शहरी स्थानीय निकायों को मूर्तियों के विर्सजन के लिए किसी इलाके तथा आवासीय क्षेत्र के नजदीक अस्थाई विर्सजन एवं कृत्रिम तालाब बनाये जाने चाहिए।
उन्होंने बताया कि त्यौहार समितियों और एनजीओ के सहयोग से गणेश चतुर्थी एवं दुर्गा पर्व के दौरान पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों के बारे में जनता के मध्य जागरूकता फैलाए का कार्य हो। त्यौहार समितियों और एनजीओ के सहयोग से सामुदायिक स्थानों, स्कूलों एवं कॉलेजों में पर्यावरण हितैषी मूर्तियों के निर्माण के संबंध में जागरूकता अभियान भी चलाया जाए। नदियों के किनारे मूर्ति विर्सजन के दौरान मार्गदर्शिका में सुरक्षा के लिए दिए गए दिशानिर्देशों की पालना सुनिश्चित की जानी चाहिए।