अजमेर। राजस्थान में अब बिजली के इस्तेमाल को मोबाइल से ट्रैक किया जा सकेगा। मोबाइल फोन की तरह मीटर पहले रिचार्ज होगा। जितना रिचार्ज होगा, बिजली उतनी ही चलेगी। मोबाइल ऐप या पोर्टल के जरिए खपत और बैलेंस देख सकेंगे।
दरअसल, राजस्थान में स्मार्ट मीटर लगाने की कवायद शुरू की गई है। स्मार्ट मीटर को लेकर लगातार विरोध भी चल रहा है। इसलिए इसकी शुरुआत प्रदेश के मंत्री और कर्मचारियों के आवास पर स्मार्ट मीटर लगाने से की जा रही है।
इसी कड़ी में गुरुवार को ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर के जयपुर स्थित सरकारी आवास पर स्मार्ट मीटर लगाया गया। इस दौरान ऊर्जा मंत्री ने दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए स्मार्ट मीटर पर चल रहे विवाद को लेकर अपना पक्ष रखा
सवाल- स्मार्ट मीटर कैसे काम करेगा? इसे लगाकर आप प्रदेश की जनता को क्या मैसेज देना चाह रहे हैं?
ऊर्जा मंत्री- स्मार्ट मीटर आज की टेक्नोलॉजी बेस्ड मीटर है। इसे ऐप के माध्यम से मोबाइल से कनेक्ट कर सकते हैं। मीटर में जो रीडिंग चल रही है। वह हमारे मोबाइल पर शो करेगी कि हमने बिजली का कितना उपयोग किया। इसमें यह भी मालूम चल जाएगा, हमने कितनी यूनिट बिजली दिन में खर्च की। कितनी यूनिट रात में खर्च की। इसका एक फायदा उपभोक्ता को होगा। उन्हें मंथली बिल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उपभोग का डेटा उपभोक्ता के मोबाइल में रहेगा। इससे उपभोक्ता यह शिकायत नहीं कर सकता कि बिजली बिल ज्यादा आ रहा है।
लोगों को संशय फैलाया जा रहा है। भ्रामक प्रचार किया जा रहा है कि स्मार्ट मीटर लगाने से बिल ज्यादा आएगा। ऐसे में किसी को संशय है कि स्मार्ट मीटर से बिल ज्यादा आ रहा है। हम 5% मोहल्ले जहां पुराने मीटर हैं। वहां नए टेस्टेड मीटर के साथ लगाकर दिखा सकते हैं। ऐसा हमने डिस्कॉम को निर्देश दिए हैं कि इस तरीके से लाइव डेमो लोगों को दिखाएं ताकि लोगों के मन से भ्रम दूर हो सके।
आज स्मार्ट मीटर लगने के बाद गरीब उपभोक्ता चाहे वह दिहाड़ी मजदूर हो या डेली अपनी कमाई करके घर परिवार चलता हो। उनकी कई जरूरतें हैं, लेकिन उन्हें मंथली बिल आने पर परेशानी होती है। उन्हें मंथली तनख्वाह नहीं आने पर एकदम से परेशानी का सामना करना पड़ता है। वो बिजली बिल जमा करने में समर्थ नहीं हो पाते।
स्मार्ट मीटर लगने के बाद प्रीपेड सिस्टम हो जाएगा। इसका उपभोक्ता को लाभ होगा। वह जिस तरह से मोबाइल को रिचार्ज करके उपभोग करता है। वैसे ही प्रीपेड रिचार्ज करवा करके बैलेंस के अनुसार बिजली उपभोग कर सकता है। ऐसे में इससे उन्हें मंथली बिल जमा करने की परेशानी से मुक्ति मिलेगी। इससे उनका उपभोग भी बैलेंस हो पाएगा। वह अपने रोजाना के बिजली उपभोग को देख पाएंगे। इससे बिजली की बचत कर सकेंगे। इससे बिजली का दुरुपयोग भी रुकेगा। लोगों को फायदा भी पहुंचेगी।
सवाल- प्रदेश में अभी भी एक बड़ी आबादी है, जो अशिक्षित और टेक्नोलॉजी से दूर है। मोबाइल नहीं चलाते, उन तक स्मार्ट मीटर को कैसे पहुंचाएंगे?
ऊर्जा मंत्री- आज के समय में चाहे महिलाएं हों या मजदूर हों। उनके हाथ में भी मोबाइल है। गांव की महिलाएं भी मोबाइल देख रही हैं। उनका उपयोग कर रही हैं तो निश्चित रूप से वह अपना रिचार्ज भी कर रही हैं। इस तरीके से बिजली के मीटर को भी रिचार्ज कर सकेंगे। उसमें भी टॉपअप करके अपना बैलेंस डलवा सकते हैं। ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं बची जो लोगों की पहुंच से दूर है।
सवाल- प्रदेश में ऐसे कई गांव हैं, जहां टेक्नोलॉजी तो दूर बिजली के खंभे भी नहीं हैं।
ऊर्जा मंत्री- स्मार्ट मीटर वहीं लगेगा, जहां बिजली के खंभे हैं। निश्चित रूप से मैं समझता हूं कि लोगों को कुछ समय के लिए असुविधा हो सकती है। लेकिन हर व्यक्ति इसे समझ करके सीख लेगा तो यह उनके लिए फायदेमंद रहेगा। कई राज्यों में स्मार्ट मीटर की तारीफ हो रही है। बिहार को कहते हैं कि शिक्षा में पिछड़ा हुआ है। आर्थिक रूप से कमजोर राज्य है। लेकिन वहां स्मार्ट मीटर चल रहे हैं। गरीब लोग तक भी टॉपअप कर रहे हैं।
सवाल- विपक्ष का आरोप है कि प्राइवेट कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए स्मार्ट मीटर थोपा जा रहा है?
ऊर्जा मंत्री- जब अशोक गहलोत की सरकार थी, तब भी स्मार्ट मीटर लगाने के कार्य की प्रक्रिया चालू हुई थी। उसी को हमने आगे बढ़ाया है। जो भी सरकारी आती है, वह अपने हिसाब से नवाचार करती है। यह जनहित के लिए आवश्यक है। स्मार्ट मीटर लगने के बाद निश्चित रूप से लोगों की बिजली से जुड़ी समस्याओं का समाधान समय पर हो सकेगा।
सवाल- प्रदेश में कब तक स्मार्ट मीटर लग जाएंगे?
ऊर्जा मंत्री- 2026 के अंत तक हमारा टारगेट है कि प्रदेश के हर घर में स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएं। इसी तरफ हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं। हमारी कोशिश है कि यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो ताकि स्मार्ट मीटर का उपभोक्ताओं को लाभ मिल सके। स्मार्ट मीटर लगने के बाद लोगों पर आर्थिक बोझ कम होगा।
इन जगह लगेंगे स्मार्ट मीटर
पहले प्रोजेक्ट में जयपुर के सांगानेर, प्रतापनगर, जगतपुरा, पुराना घाट, आमेर, झोटवाड़ा, भांकरोटा और टोंक संभाग में स्मार्ट मीटर लगेंगे। इसके अलावा भरतपुर, कोटा संभाग के 22 सब डिवीजन में स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। ये साल 2021-22 में लगाए जा चुके हैं
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