अजमेर। अजमेर में 243 करोड़ की लागत से बनाए गए रामसेतु ब्रिज (एलिवेटेड ब्रिज) की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। शनिवार को अजमेर की कोर्ट में जागरूक नागरिक की तरफ से दो प्रतिवादियों ने वाद पेश किया है। इस वाद के जरिए ब्रिज को तैयार करने वाले ठेकेदार, कंपनी और अधिकारियों के खिलाफ जांच करवाने सहित विभिन्न मांगें रखी गई हैं।
प्रतिवादी जितेश धनवानी ने बताया कि 3 तारीख को रामसेतु नाम से जाने जाने वाले एलिवेटेड ब्रिज पर जमीन धंस गई। इस मामले में जागरूक नागरिक होने के नाते कोर्ट में याचिका पेश की गई है। याचिका में ब्रिज में प्रयोग की गई सामग्री की क्वालिटी और मापदंडों की जांच की मांग की गई है, जिससे जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई की जा सके और भविष्य में अजमेर के नागरिकों को किसी तरह की समस्या न झेलनी पड़े। मामले की सुनवाई सोमवार को होगी, जिसमें 15 से ज्यादा अधिवक्ता पैरवी करेंगे
243 करोड़ की लागत से तैयार हुआ ब्रिज
एडवोकेट विवेक पाराशर ने बताया कि राम सेतु ब्रिज को 3 साल बने हुए हो चुके हैं। 243 करोड़ की लागत से ब्रिज का निर्माण किया गया। जिसे पहले एलिवेटेड रोड के नाम से जाना जाता था। ब्रिज पर जमीन धंसने के बाद राजनीतिक की जा रही है। जब से यह ब्रिज बनकर तैयार हो रहा था तब से इसका विरोध हो रहा था।
3 तारीख को उस ब्रिज पर जमीन धंस गई।
याचिका में विभिन्न मांगे रखी गई
पाराशर ने बताया कि इस ब्रिज को तैयार करने वाले ठेकेदार, कंपनी और अधिकारियों के खिलाफ जांच करवाने की मांग को लेकर याचिका पेश की गई है। ब्रिज को निर्धारित समय पर भी तैयार नहीं किया गया। ठेकेदार पर इसे लेकर पेलेंटी भी लगाई गई। पेलेंटी को भी माफ कर दिया। इसकी भी जांच करवा कर खुलासा करने की मांग की गई है। जांच के बाद खुलासा होने पर अधिकारियों से इसकी वसूली कर राजकोष में पैसा जमा किया जाए।
इसके साथ ही इसमें जब तक इसकी सुरक्षा की जांच नहीं हो जाती तब तक इसे बंद रखा जाए। इसे लेकर याचिका लगाई है। 15 से ज्यादा अधिवक्ता इस याचिका में पैरवी करेंगे।