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                  अजमेर, 12 मार्च। ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के सम्बन्ध में सक्षम स्तरों से जारी निर्देशों के अनुसार ही जिले में इनका उपयोग किया जा सकेगा। इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा आदेश जारी किया गया है। 

                  जिला मजिस्ट्रेट श्री लोक बन्धु ने बताया कि ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के संबंध में सर्वाेच्च न्यायालय नई दिल्ली, हरित प्राधिकरण, पर्यावरण विभाग राजस्थान सरकार, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्राण बोर्ड गृह विभाग राजस्थान सरकार एवं महानिदेशक पुलिस राजस्थान सरकार द्वारा विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं इनका कड़ाई से पालना करवाना आवश्यक है। 

                  उन्होंने बताया कि ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य के लिये घातक है। इस संबंध में जारी आदेशों एवं निर्देशों पर तत्काल प्रभाव से अमल किया जाना आवश्यक है। स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल जैसे संस्थानों के 100 मीटर के दायरे को सांइलेंस जोन माना गया है। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के ध्वनि प्रदूषण को सख्ती से रोका जाएगा। सड़कों पर वाहनों में साउंड बॉक्स लगाकर चलाई जाने वाली तेज आवाज से आमजन के सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। साथ ही यह ध्वनि अधिनियम एवं मोटरयान अधिनियम का उलंघन भी है। इन पर भी सख्ती से वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। प्रतिबंधित समय में अथवा बिना अनुमति से सार्वजनिक स्थलों पर लाउडस्पीकर का उपयोग करते हुए पाए जाने पर संबंधित के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। 

                  उन्होंने बताया कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों जैसे औद्योगिक, वाणिज्यिक, रिहायशी और शांत क्षेत्रों में दिन तथा रात के समय अधिकतम ध्वनि तीव्रता निर्धारित की गई है। ध्वनि प्रसारक एवं ध्वनि विस्तारक यंत्रों का सक्षम प्राधिकारी की आज्ञा से ही प्रयोग किया जाना प्रावधानित है। अजमेर जिले में रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक किसी भी प्रकार के ध्वनि प्रसारण एवं ध्वनि विस्तारक यंत्रों (लाउड स्पीकर) का प्रयोग निषेध रहेगा। इस अवधि के अलावा किसी भी प्रकार के ध्वनि प्रसारण व विस्तारक यंत्रों का प्रयोग प्राधिकृत अधिकारी की अनुमति से ही किया जा सकेगा। 

                  उन्होंने बताया कि जिले के समस्त तहसील क्षेत्रों में संबंधित तहसीलदार और नायब तहसीलदार, नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका क्षेत्र में आयुक्त अथवा अधिशाषी अधिकारी तथा संबंधित थाना क्षेत्र के थानाधिकारी इस संबंध में सतत निगरानी और नियंत्रण रखेंगे। ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के दौरान निर्देशों, आदेशों तथा नियमों का उल्लंघन होने पर तथा इस संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर तत्काल कार्यवाही करना सुनिश्चित करेंगे। समय-समय पर आकस्मिक जांच व निरीक्षण भी करेंगे। 

                  उन्होंने बताया कि ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग से नियमों तथा आदेशों का उल्लंघन होने की स्थिति में धारा 152 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1963, राजस्थान ध्वनि नियंत्रण अधिनियम 1963, मोटरयान अधिनियमों तथा अन्य सुसंगत प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही विधिवत रूप से सुनिश्चित की जाएगी। आवश्यकतानुसार धारा 223, 225 भारतीय न्याय संहिता अथवा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1963, राजस्थान ध्वनि नियंत्रण अधिनियम एवं अन्य किसी सुसंगत प्रावधान में प्रथम सूचना रिपोर्ट अथवा सक्षम न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया जाएगा।

                  उन्होंने बताया कि मुख्य मार्गों और स्थलों पर मॉडिफाइड वाहनों पर ध्वनि प्रसारक यंत्र लगाकर उनका उपयोग करना मोटरवाहनों को मॉडिफाई करना तथा उन पर ध्वनि प्रसारक यंत्र लगाकर वाहन का उपयोग करना भी नियमों के विपरीत है। इस संबंध में परिवहन विभाग अभियान चलाकर ऐसे वाहनों तथा वाहन स्वामियों के विरूद्ध तत्काल मोटरयान अधिनियमों तथा अन्य सुसंगत प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही विधिवत रूप से सुनिश्चित करेंगे। 

                  उन्होंने बताया कि किसी भी संस्था अथवा व्यक्ति द्वारा ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 यथा संशोधित के प्रावधानों का पालन करते हुए ही ध्वनि विस्तारक यंत्र, लाउड स्पीकर एवं डीजे का प्रयोग किया जा सकेगा। नियमों पर पालना नहीं करते हुए डीजे या ध्वनि विस्तारक यंत्रों का अनियमित रूप से प्रयोग करने पर आयोजकों के विरूद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही की जाएगी।

                  उन्होंने बताया कि धार्मिक स्थल एवं सार्वजनिक स्थल अथवा कार्यक्रम में नियम विरुद्ध ध्वनि विस्तारक यंत्रों, लाउड स्पीकर अथवा डीजे प्रयोग में लाए जाने पर जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारी के विरूद्ध यथोचित अनुशासनात्मक कार्यवाही सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जाएगी। गृह विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार सार्वजनिक कार्यक्रम, शोभायात्रा एवं प्रदर्शन के आयोजन के लिए निर्धारित प्रारूप में उपखण्ड अधिकारी, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, (शहर) अथवा प्राधिकृत अधिकारी से आज्ञा प्राप्त किया जाना आवश्यक होगा।

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