अजमेर 22 दिसम्बर। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार दिनांक 22.12.2024 को वर्ष 2024 की चतुर्थ व अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन किया गया। लोक अदालत की भावना से बढ़ी संख्या में वादी व परिवादीगण ने अपने मसलों पर सहमति जताते हुए सुलह की व वर्षो से चल रहे विवाद एवं मानसिक व आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पायी। चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन का शुभारंभ आज प्रातः 10ः00 बजे दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। दीप प्रज्ज्वलित कार्यक्रम मे श्रीमान् नीरज कुमार भारद्वाज, न्यायाधीश, मोटर दुर्घटना दावा अधिनियम अजमेर, श्रीमान् महावीर प्रसाद गुप्ता, न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय संख्या 01, अजमेर, श्रीमान् महेन्द्र कुमार ढ़ाबी, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अजमेर, श्री संजय सिंह एलडीएम, श्री सुरेश भुटोलिया, रिजनल मैनेजर तथा अन्य न्यायिक अधिकारीगण एवं प्रशासनिक अधिकारीगण उपस्थित रहे। इस अवसर पर प्राधिकरण सचिव श्री महेन्द्र कुमार ढ़ाबी ने जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन के क्रम में गत 03 माह से ही तैयारिया शुरू कर दी गई थी। श्रीमती संगीता शर्मा, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,(जिला एवं सेशन न्यायधीश) अजमेर एवं श्री महेन्द्र कुमार ढ़ाबी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश) अजमेर की अध्यक्षता में अजमेर न्यायक्षेत्र के विभिन्न न्यायिक अधिकारीगण के साथ बैठक आयोजित की जाकर लम्बित प्रकरणो के राजीनामे की भावना से निस्तारण हेतु समय-समय पर आवश्यक दिशा निर्देश दिये। सचिव द्वारा अजमेर न्यायक्षेत्र की विभिन्न बार काउंसिल के अधिवक्तागण के साथ चर्चा की गई व उन्हें अधिकाधिक प्रकरणो के निस्तारण हेतु प्रेरित किया गया। उन्होने अधिवक्तागण को पक्षकारो को लोक अदालत की भावना के अनुरूप राजीनामे से प्रकरणो के निस्तारण करवाने के आवश्यक निर्देश दिये ताकि पक्षकारान को शीघ्र न्याय प्राप्त हो सके। श्री प्रकाश चन्द्र मीणा, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अजमेर के द्वारा भी समय-समय पर न्यायिक अधिकारीगण के साथ मीटिंग ली गई व लोक अदालत के दौरान भी श्री महेन्द्र कुमार ढाबी, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ निरंतर गठित बैंचो का निरंतर राजीनामा योग्य प्रकरण एवं अन्य सभी प्रकरण एवं उपस्थित पक्षकारान को प्रकरण निस्तारण करने हेतु प्रोत्साहित किया। इसके अतिरिक्त राजस्व प्रकरण, प्रि-लिटिगेशन प्रकरणो को अधिक से अधिक राष्ट्रीय लोक अदालत में रखने हेतु विभिन्न विभागो के नोडल अधिकारी, बैंक एवं निजी वित्तीय संस्थान के साथ समय समय पर बैठक की गई। उक्त सभी प्रयासो के फलस्वरूप ही वर्ष की चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन संभव हो सका है।
राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल अयोजन के लिए अजमेर मुख्यालय पर 22 बेंचो का गठन किया गया (न्यायालयों के लिए 6 बेंच, राजस्व मंडल अजमेर के लिए 1 बेंच, राजस्व प्रकरणों के लिए एक बेंच, तथा स्थाई लोक अदालत एवं जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग द्वारा चिन्हित किए गए प्रकरणों के लिए एक बेंच, प्री लिटिगेशन प्रकरणों के लिए बेंच) गठित की गई है। ब्यावर, किशनगढ़, केकड़ी, नसीराबाद तालुका पर दो दो बेंच जिनमें एक न्यायालयों द्वारा चिन्हित किए गए प्रकरणों के लिए तथा एक बेंच राजस्व प्रकरणों के लिए गठित की गई। सरवाड़, विजयनगर, पुष्कर, मसूदा के लिए एक -एक बेंच गठित की गई। इस प्रकार कुल 22 बैंच गठित की गई है। इस प्रकार कुल 22 बेंचों का गठन किया जाकर प्रकरणो के अधिकाधिक निस्तारण का प्रयास किया गया। प्रत्येक बेंच में न्यायिक प्रकरणों के लिए गठित की गई बेंच मंे एक पैनल अधिवक्ता को सदस्य बनाया गया तथा राजस्व प्रकरणों के लिए गठित की गई बेंच में सेवारत राजस्व अधिकारी को सदस्य बनाया गया। मुख्यालय पर स्थित समस्त पैरा लीगल वोलेंटियर्स की ड्यूटी लोक अदालत के प्रचार प्रसार एवं हेल्प डेस्क पर लगाई गई।
उक्त के अतिरिक्त राष्ट्रीय लोक अदालत के व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार के क्रम मंे विभाग के पैरा लीगल वोलेंटियर्स द्वारा आयोजित किये जाने वाले विधिक जागरूकता शिविरों के माध्यम से पैम्पलेट वितरित किए गए, विभिन्न दर्शनीय स्थानों पर पोस्टर लगवाए गए एवं आम जन को लेाक अदालत का महत्व एवं लाभों की जानकारी दी। इसी क्रम मंे मोबाइल वैन के द्वारा विभिन्न गांवों एवं शहरी क्षेत्र के इलाकों में विधिक जागरूकता दी गई।
अजमेर न्याय क्षेत्र मंे लम्बित 1 लाख से 2 लाख रू तक की राशि के एन. आई एक्ट के समस्त लम्बित प्रकरणों में पक्षकारान् को प्री काउसलिंग हेतु नोटिस जारी किए गए तथा निरन्तर प्री काउसलिंग आयोजित की गई।
इसी के साथ वाणिज्यिक न्यायालय में कुल 70 प्रकरणों को चिन्ह्ति किया गया जिसमें से 16 प्रकरण का निस्तारण गया तथा जिसमें 10959414/-रू की राशि का अवार्ड पारित किया गया।
मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में 1095 प्रकरणों को चिन्ह्ति किया गया जिसमें से 243 प्रकरण का निस्तारण गया तथा जिसमें 137277411/- रुपये की राशि का अवार्ड पारित किया गया।
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अजमेर के निर्देशानुसार अजमेर न्यायक्षेत्र की विभिन्न न्यायालयों में प्री लिटिगेशन से संबंधित धन वसूली के सभी प्रकार के विवाद से सम्बन्धित 12231 मामले रखे गए जिनमें से 241 मामलों का निस्तारण हुए व कुल 42679843/- रुपए की अवार्ड राशि दी गई। बिजली, पानी, मोबाईल, आदि से संबंधित 4542 मामले रखे गए जिनमें से 183 मामले निस्तारित हुए व 1587310/- रुपए की अवार्ड राशि दी गई।
धारा 138 एन.आई. एक्ट से सम्बन्धित कुल 15156 मामले रखे गए जिनमें से 640 मामले निस्तारित हुए एवं कुल 135030966/- रुपए की अवार्ड राशि दी गई।
इसके अलावा अन्य सिविल मामलों में 232 मामले, वैवाहिक विवाद, बालको की अभिरक्षा, भरण पोषण में 322 प्रकरण निस्तारित किये गये।
इस प्रकार राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 316358 मामले रखे गए जिनमें से 277531 मामलों का निस्तारण हुआ और 367106309/- रुपए की अवार्ड राशि हुई पारि
दिनांक 22.12.2024 को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 20 प्रकरण नियत किए गए थे जिसमें से 16 प्रकरणों का निस्तारण लोक अदालत की भावना से किया गया है। जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार हैः-
उक्त 16 प्रकरणों में 10 प्रकरण कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम 1923 की इजराय निस्तारित की गई, जिनमें प्रार्थी/प्रार्थीगणों को उनकी बकाया राशि प्राप्त हो गई थी।
शेष 6 प्रकरणों में से 3 दीवानी प्रकरण थे, जिनको पक्षकारों ने आपस में लोक अदालत की भावना से प्रकरणों को वापस ले लिया।
शेष 3 प्रकरणों का विवरण निम्न प्रकार हैः-
01. ईसीए 59/2023 चुनसिंह वगैरह बनाम प्रवीण भाई वगेरह
उक्त प्रकरण में प्रार्थीगण की ओर से दिनांक 05.10.2023 को नियोजन के दौरान मृत्यु हो जाने पर वास्ते प्राप्त करने प्रतिकर की राशि पेश किया गया था, जिसमें प्रार्थीगण एवं अप्रार्थी सं.02 बीमा कं. के मध्य राशि रुपये 12 लाख में राजीनामा हो जाने से उक्त प्रकरण का लोक अदालत की भावना से राजीनामा संपन्न हुआ।
02.़ ईसीए 18/2024 इन्दिरा वगैरह बनाम शिवम लोजिस्टीक वगैरह
उक्त प्रकरण मंे नियोजन के दौरान मृतक बीरमसिंह की मृतयु हो जाने पर वास्ते प्राप्त करने प्रतिकर की राशि क्लेम पेश किया गया था। जिसमें प्रार्थीगण तथा अप्रार्थी सं.02 बीमा कम्पनी के मध्य राजीनामा हो जाने से 9 लाख रुपये की राशि का अवार्ड पारित किया गया।
03. इसी प्रकार एक अन्य कर्मचारी प्रतिकर के मामले में राजीनाम हो जाने से प्रकरण का निस्तारण लोक अदालत की भावना से किया गया।
पारिवारिक न्यायालय सं. 1, अजमेर
राष्ट्रीय लोक अदालत दिनांक 22.12.2024
(1) श्रीमती टीना (बदला हुआ नाम) एवं श्री राहुल (बदला हुआ नाम) इस प्रकरण में दोनों पक्षकारान का विवाह माह अप्रेल, 2018 में सम्पन्न हुआ था। प्रार्थीगण के दो संतानें हैं, जिनकी उम्र 05 व 03 वर्ष हैं। विवाह के कुछ माह बाद ही प्रार्थीगण के आपस में विचार नहीं मिलने से वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो गया तथा प्रार्थीगण के बीच छोटी-छोटी बातों पर अनबन होने लग गई। इन वैचारिक मतभेदों के चलते प्रार्थीगण के मध्य मनमुटाव कायम हो गया व दोनों प्रार्थीगण के बीच आपस मंे वैचारिक मतभेद इतने अत्यधिक बढ़ गये कि दोनों का एक साथ रहकर पति-पत्नी के रूप में रहना संभव नहीं रहा। प्रार्थीगण को तलब किया गया तथा उसके न्यायालय में उपस्थित आने पर दोनों पक्षों को न्यायाधीश महोदय द्वारा समझाया गया कि विवादों को भुलाकर राजीखुशी साथ-साथ रहे। न्यायाधीश महोदय द्वारा समझाईश किए जाने पर दोनो पक्षों में लोक अदालत की भावना से राजीनामा हुआ और वे वर्तमान में एक-दूसरे के साथ बतौर पति-पत्नी राजीखुशी रह रहे है, जिससे उनका नवविवाहित जीवन बच गया। लोक अदालत के माध्यम से विवादों का निपटारा होने पर अब पक्षकारान सुखमय वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकेंगे।
न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 अजमेर सफल कहानी
राष्ट्रीय लोक अदालत दिनांक 22.12.2024
(1) श्रीमती मोनिका (बदला हुआ नाम) व श्री विकास (बदला हुआ नाम) प्रस्तुत प्रकरण में प्रार्थी व अप्रार्थिया का विवाह अक्टूबर 2012 में हुआ था एवं उनके विवाह संबंधों से एक पुत्री का जन्म सितंबर, 2013 में हुआ। विवाह के कुछ वर्ष बाद प्रार्थीगण के आपस में विचार नहीं मिलने से वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो गया तथा प्रार्थीगण के बीच छोटी-छोटी बातों पर अनबन होने लग गई। इन वैचारिक मतभेदों को सुलझाने हेतु पक्षकारान के रिश्तेदार, परिचितों एवं बड़े बुजुर्गों ने काफी प्रयास किए हैं, तत्पश्चात भी पक्षकारान के मध्य उत्पन्न मतभेद नहीं सुलझ पाए। फिर प्रार्थीगण को तलब किया गया तथा उसके न्यायालय में उपस्थित आने पर दोनों पक्षों को न्यायाधीश महोदय द्वारा समझाया गया कि विवादों को भुलाकर राजीखुशी साथ-साथ रहे। न्यायाधीश महोदय द्वारा समझाईश किए जाने पर दोनो पक्षों में लोक अदालत की भावना से राजीनामा हुआ और वे वर्तमान में एक-दूसरे के साथ बतौर पति-पत्नी राजीखुशी रह रहे है, जिससे उनका नवविवाहित जीवन बच गया। लोक अदालत के माध्यम से विवादों का निपटारा होने पर अब पक्षकारान सुखमय वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकेंगे।
(2) श्री कृष्णा (बदला हुआ नाम) व श्रीमती रश्मि (बदला हुआ नाम) प्रस्तुत प्रकरण में दोनों पक्षकारान का विवाह फरवरी 2009 में हुआ था एवं उनके विवाह संबंधों से एक पुत्र तथा एक पुत्री का जन्म हुआ, जिसकी उम्र लगभग 11 वर्ष तथा पुत्री की उम्र लगभग 9 वर्ष है। प्रार्थीगण के मध्य लड़ाई-झगड़े होने लगे तथा प्रार्थीगण के व्यवहार में परिवर्तन आने लगे और प्रार्थीगण के वैवाहिक जीवन को बचाने के लिए सभी परिजनों द्वारा प्रयास किए गए, लेकिन संभव नहीं हो सका। फिर आज बैंच के समक्ष दोनों पक्षों के मध्य बैंच के अध्यक्ष श्रीमान् रामेश्वर प्रसाद चौधरी न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय सं. 2 अजमेर द्वारा विवादों को भुलाकर एकसाथ राजीखुशी रहने हेतु समझाया गया, जिस पर अप्रार्थिया प्रार्थी के साथ राजीखुशी रहने को तैयार हुई और प्रार्थी व अप्रार्थिया साथ साथ निवास करने हेतु राजी होकर साथ साथ गए।समझाईश किए जाने से दोनों पक्षों के मध्य लोक अदालत की भावना से राजीनामा हो गया तथा दोनों पक्ष साथ साथ रहने हेतु तैयार हो गए।लोक अदालत के माध्यम से विवादों का निपटारा होने पर अब पक्षकारान सुखमय वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकेंगे व उनके दोनो पुत्र-पुत्री को माता-पिता दोनों का स्नेह व प्यार मिल सकेगा।
(3) श्री मोहित (बदला हुआ नाम) व श्रीमती साक्षी (बदला हुआ नाम) प्रस्तुत प्रकरण में दोनों पक्षकारान का विवाह नवम्बर 2020 में हुआ था एवं उनके विवाह संबंधों से किसी संतान का जन्म नहीं हुआ। प्रार्थीगण का विवाह होने के कुछ साल बाद दोनों के मध्य आपस मंे छोटी-छोटी बातांे पर विवाद होने लगे। दोनों प्रार्थीगण के मध्य विवाद इतने ज्यादा बढ़ गए कि दोनों का साथ रहना मुश्किल हो गया। आज बैंच के समक्ष दोनों पक्षों के मध्य बैंच के अध्यक्ष श्रीमान् रामेश्वर प्रसाद चौधरी न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय सं. 2 अजमेर द्वारा विवादों को भुलाकर एकसाथ राजीखुशी रहने हेतु समझाया गया, जिस पर अप्रार्थिया प्रार्थी के साथ राजीखुशी रहने को तैयार हुई और प्रार्थी व अप्रार्थिया साथ साथ निवास करने हेतु राजी होकर साथ साथ गए।समझाईश किए जाने से दोनों पक्षों के मध्य लोक अदालत की भावना से राजीनामा हो गया तथा दोनों पक्ष साथ साथ रहने हेतु तैयार हो गए।लोक अदालत के माध्यम से विवादों का निपटारा होने पर अब पक्षकारान सुखमय वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकेंगे।
(4) श्री यश (बदला हुआ नाम) व श्रीमती श्रुति (बदला हुआ नाम) प्रस्तुत प्रकरण में दोनों पक्षकारान का विवाह फरवरी 2017 में हुआ था एवं उनके विवाह संबंधों से किसी संतान का जन्म नहीं हुआ। प्रार्थीया ने अप्रार्थी के विरूद्ध हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत पारिवारिक न्यायालय में प्रस्तुत की। आज बैंच के समक्ष दोनों पक्षों के मध्य बैंच के अध्यक्ष श्रीमान् रामेश्वर प्रसाद चौधरी न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय सं. 2 अजमेर द्वारा विवादों को भुलाकर एकसाथ राजीखुशी रहने हेतु समझाया गया, जिस पर प्रार्थीया अप्रार्थी के साथ राजीखुशी रहने को तैयार हुई और प्रार्थीया एवं अप्रार्थी साथ साथ निवास करने हेतु राजी होकर साथ साथ गए। समझाईश किए जाने से दोनों पक्षों के मध्य लोक अदालत की भावना से राजीनामा हो गया तथा दोनों पक्ष साथ साथ रहने हेतु तैयार हो गए। लोक अदालत के माध्यम से विवादों का निपटारा होने पर अब पक्षकारान सुखमय वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकेंगे।