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              अजमेर, 19 दिसम्बर। संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा घोषित किए गए वर्ल्ड मेडिटेशन डे के उपलक्ष्य में जेएलएन मेडिकल कॉलेज में तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इसमें कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विकास सक्सेना द्वारा सभी अतिथियों व माननीयगण का स्वागत किया गया।

              कार्यक्रम में सभी को हार्टफुलनेस विधि द्वारा शिथिलकरण और ध्यान का अनुभव कराया गया और यह बताया गया की ध्यान में हम स्वयं ही प्रयोगकर्ता भी हम हैं, प्रयोग का विषय भी हमें और प्रयोग का परिणाम भी हम हैं। ध्यान केवल एक साधन नहीं बल्कि जीवन शैली है। प्रिंसिपल डॉ. अनिल समारिया ने प्रतिभागीयों के साथ अपना अनुभव साझा किया, जिसमें मेडिकल कॉलेज के फैकल्टी, रेजिडेंट डॉक्टर, मेडिकल, नर्सिंग और पैरामेडिकल छात्र भी शामिल थे।

              उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि ध्यान आत्मिक शांति, मानसिक संतुलन और स्वास्थ्य के महत्व को समझने का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है। ध्यान केवल एक साधना नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। यह वह माध्यम है जो हमें हमारे अंदर की शांति और संतुलन से जोड़ता है। चिकित्सा क्षेत्र में हम अक्सर शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं। मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है। स्वस्थ मन से ही स्वस्थ शरीर संभव है और ध्यान इस संपूर्ण स्वास्थ्य का सबसे सशक्त माध्यम है।

              उन्होंने कहा कि विज्ञान भी यह सिद्ध कर चुका है कि नियमित ध्यान न केवल तनाव को कम करता है, बल्कि एकाग्रता बढ़ाने, प्रतिरोधक क्षमता को सुधारने और करुणा व सहानुभूति को प्रोत्साहित करने में सहायक है। ये लाभ न केवल व्यक्तिगत जीवन के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए आवश्यक हैं। विश्व ध्यान दिवस के इस पावन अवसर पर उन्होंने सभी से आग्रह किया कि आप कुछ क्षण रुकें, गहरी सांस लें और आत्ममंथन करें। ध्यान को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं। भले ही आप इसे कुछ मिनटों के लिए ही करें, लेकिन इसे नियमित रूप से करें। क्योंकि ध्यान की प्रभावशीलता उसकी निरंतरता में है, समय की अवधि में नहीं।

              अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. श्याम भूतड़ा ने स्वामी विवेकानन्द जी के प्रेरणादायक शब्दों से सभा का मार्गदर्शन किया और सिफारिश की कि ध्यान एक दैनिक आदत बननी चाहिए। उन्होंने सभी को इस हार्टफुलनेस ध्यान सत्र के दो और दिनों के लिए आमंत्रित किया जिसमें भावनात्मक तनाव को प्रबंधित करने के लिए कायाकल्प तकनीकें शामिल हैं। जैसे बिस्तर पर जाने से पहले अपने हृदय को व अपने आंतरिक स्व को ईश्वर से जोड़ना। डॉ. जी.सी. मीना ने बताया कि यह भारत में सदियों पुरानी परंपरा है, यह पीढ़ियों से चली आ रही है, जैसा कि उन्होंने अपने पिता और दादा से सीखा था। मानसिक रूप से लगभग सभी को शांति व तरोताजा महसूस हुआ।

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