Mon. Oct 7th, 2024
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अजमेर। पितरों के कार्य वैसे तो वर्षभर किए जाते हैं। किंतु उनके लिए दिन विशेष श्राद्धपक्ष कहलाता है। भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक सोलह दिन का समय पितृपक्ष, श्राद्धपक्ष या महालया कहलाता है।

 

श्राद्धपक्ष में पितृ अपने परिजनों से जल, भोजन आदि ग्रहण करने धरती पर आते हैं। इस दौरान उनकी प्रसन्नता के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म किए जाते हैं।

 

इस बार पितृपक्ष 17 सितंबर से प्रारंभ होकर 2 अक्टूबर 2024 तक रहेंगे। इस दौरान पितरों के निमित्त दान, ब्राह्मण भोजन, पशु-पक्षियों की सेवा आदि कर्म किए जाने चाहिए। श्राद्धपक्ष में पितरों का श्राद्ध उसी तिथि पर किया जाता है जिस तिथि को उनकी मृत्यु हुई होगी।

 

*श्राद्धपक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या*

 

जिन पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है और अज्ञात पितरों की शांति के लिए श्राद्धपक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध किया जाता है। जिन पितरों की मृत्यु तिथि पूर्णिमा होती है उनका श्राद्ध भाद्रपद पूर्णिमा के दिन किया जाता है।

 

*श्राद्धपक्ष संवत 2081 की तिथियां*

 

17 सितंबर : प्रौष्ठपदी पूर्णिमा श्राद्ध

18 सितंबर : प्रतिपदा श्राद्ध

19 सितंबर : द्वितीया श्राद्ध

20 सितंबर : तृतीया श्राद्ध

21 सितंबर : चतुर्थी श्राद्ध, भरणी श्राद्ध

22 सितंबर : पंचमी श्राद्ध

23 सितंबर : षष्ठी श्राद्ध, दोप 1:51 से सप्तमी श्राद्ध

24 सितंबर : अष्टमी श्राद्ध

25 सितंबर : नवमी श्राद्ध, सौभाग्यवती का श्राद्ध

26 सितंबर : दशमी श्राद्ध

27 सितंबर : एकादशी श्राद्ध

28 सितंबर : एकादशी का एकोदिष्ट श्राद्ध

29 सितंबर : द्वादशी श्राद्ध, सन्यासियों का श्राद्ध, मघा श्राद्ध

30 सितंबर : त्रयोदशी श्राद्ध

1 अक्टूबर : चतुर्दशी श्राद्ध

2 अक्टूबर : सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध

 

*खास बातें*

 

चूंकि श्राद्ध मध्याह्नकाल में होता है इसलिए 17 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा किंतु उसी दिन अनंत चतुर्दशी एवं पार्थिव गणेश विसर्जन भी होगा। सर्वपितृ अमावस्या के दिन ज्ञात-अज्ञात समस्त पितरों का श्राद्ध किया जाएगा। पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होने पर इसी दिन श्राद्ध किया जाता है।

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