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                 अजमेर 24, जुलाई। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) की अध्यक्षता में न्यायिक अधिकारियों एवं जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मासिक बैठक में पीडित प्रतिकर स्कीम 2011 के अंतर्गत गंभीर प्रकृति के प्रकरणों में पीड़ितों व उनके आश्रितों के लिए प्राधिकरण की मासिक बैठक में प्रतिकर राशि स्वीकृत की गई। बैठक में कुल 6 प्रकरणों में 12 लाख 50 हजार रूपए की प्रतिकर राशि अपराध से पीड़ित व उनके परिवार हेतु स्वीकृत की गई। 

              जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव तथा अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश श्री महेन्द्र कुमार ढ़ाबी ने बताया कि अपराध से पीड़ित व्यक्ति को हुई मानसिक क्षति का कोई मूल्य नहीं हो सकता। प्रतिकर राशि के जरिए पीड़ित को आर्थिक संबल प्रदान किया जाना ही प्राधिकरण का उद्देश्य है। इन प्रकरणों मंे तेजाबी हमले के पीड़ितों को भी चिकित्सकीय उपचार व आर्थिक संबल हेतु मुआवजा राशि प्रदान की गई है। राज्य सरकार अपराध के परिणामस्परूप हानि या क्षति से ग्रस्त हुए और पुनर्वास की अपेक्षा रखने वाले पीड़ितों और उनके आश्रितों को प्रतिकर के लिए निधियां उपलब्ध कराने के लिए पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 को लागू किया है। इसमें रकम पीड़ित या उसके आश्रितों को संदत्त की जाएगी। राज्य सरकार प्रतिवर्ष इस स्कीम के लिए पृथ्क बजट आवंटित करती है। इसका संचालन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण निधि सचिव द्वारा किया जाता है। पीड़ित प्रतिकर योजना में वे व्यक्ति पात्रा होते हैं जिन्हें अपराध के परिणामस्वरूप हानि पहुंची हो, जो कि घृणित अपराध के पीड़ित हों जिनका शारीरिक और मानसिक पुनर्वास किया जाना आवश्यक हो। ऐसा पीड़ित व्यक्ति संहिता की धारा 357 क की उपधारा 4 के अधीन प्रतिकर की मंजूरी के लिए आवेदन कर सकता है। इनके अतिरिक्त तेजाबी हमले से पीड़ितों व महिला उत्पीड़न के प्रकरणों में भी प्रतिकर राशि प्रदान किये जाने के लिए पृथ्क से गाईडलाईन के अनुरूप प्रकरणों का निस्तारण किया जा रहा है। 

             जरूरतमन्द लोगों को निःशुल्क विधिक सहायता दिलवाने हेतु कुल 2 प्रकरण पर विचार किया गया। इसमें से 2 प्रकरण में विधिक सहायता स्वीकृत की गई। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 (यथा संशोधित) की धारा 12 के अनुरूप तालुका स्तर से लेकर उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय पर विधिक सहायता प्रदान कराई जा रही है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग का पात्र व्यक्ति, महिला एवं बालक, ऐसा व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय सीमा 3 लाख रूपये तक हो, विचाराधीन बन्दी, प्राकृतिक आपदाग्रस्त व्यक्ति, औद्योगिक कर्मकार, मानव दुर्व्यवहार व बेगारी से पीड़ितों को निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान की जा रही है। 

             बैठक में कारागृह की क्षमताओं में वृद्धि, आवश्यकता, इत्यादि हेतु चर्चा की गई। अधीक्षक केन्द्रीय कारागृह अनन्तेश्वर, अधीक्षक उच्च सुरक्षा कारागृह, पारस जांगिड़, प्रभारी अधिकारी उपकारागृह ब्यावर, अशोक पारीक ने कारागृहों में वांछित सुधार से अवगत करवाया।

बैठक में कार्यकारी अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) श्रीमती संगीता शर्मा, न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय श्री राजीव बिजलानी, न्यायाधीश मोटर वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण श्री नीरज भारद्वाज, न्यायाधीश श्रम न्यायालय अनुपमा राजीव बिजलानी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शालिनी शर्मा सहित ब्यावर जिले से जिला मजिस्ट्रेट के प्रतिनिधि एल.के. बलोत, जिला मजिस्ट्रेट केकड़ी के प्रतिनिधि गुरू प्रसाद तँवर, पुलिस अधीक्षक ब्यावर नरेन्द्र सिंह, पुलिस अधीक्षक केकड़ी के प्रतिनिधि हर्षित शर्मा, बार अध्यक्ष चंद्रभान राठौड़, मनोनीत सदस्य तारामीणा व अन्य हितधारक उपस्थित रहे। 

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