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अजमेर में गणेश महोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है. गणेश महोत्सव के लिए कारीगर मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए है. तैयारियां लगभग अंतिम चरण में है. 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी है. शहर के मर्टिंडल ब्रिज पर कारीगर मूर्तियों को बना रहे है. यहां पर 1 फिट से लेकर 6 फिट तक गजानन की मूर्तियां बन रही है.लेकिन महंगाई का असर गणेश जी की मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकारों पर पड़ रहा है. 

मूर्ति कारीगर हजारी लाल ने बताया कि इस साल महंगाई इतनी बढ़ गई है जिसका सीधा असर गणेशजी की मूर्ति पर भी पड़ने लगा है. यहां मिट्टी इतनी महंगी है कि एक मूर्ति भी बेचने के लिए के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. वहीं मूर्ति निर्माण में वॉटरकलर, ऑयल पेंट, स्प्रे मशीन, समेत अन्य सामग्री के दाम में भी वृद्वि के चलते गणेश जी की प्रतिमा की कीमत इस साल बढ़ गई है.हालांकि प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की मूर्ति से मिट्टी की मूर्ति काफी सस्ती है.

मूर्तिकार ने कहा महंगाई इतनी बढ़ गई है कि हमारा काम मुश्किल हो गया है. यहां मिट्टी इतनी महंगी है कि एक मूर्ति भी बेचने के लिए के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. वहीं मूर्ति निर्माण में वॉटरकलर, ऑयल पेंट, स्प्रे मशीन, समेत अन्य सामग्री के दाम में भी वृद्वि के चलते गणेश जी की प्रतिमा की कीमत इस साल बढ़ गई है.

हज़ारी लाल ने कहा कि चार पांच महीने पहले से ही पूरा परिवार मूर्तियों को बनाने में जुट जाते है. यहां पर बनी मूर्तियां प्रदेश के कई जिलों में जाती है. 1 फिट से लेकर 6 फिट तक यहाँ पर मूर्तियां बनती है. 50 हज़ार रुपये से लेकर 11 हज़ार तक की मूर्तियां है.

कैसे करें गणेश जी की पूजा

पंडित घनश्याम आचार्य ने बताया कि जब भी भगवान गणेश की प्रतिमा घर पर लाएं ,जब सबसे पहले उनके सूंड़ पर ध्यान दें. वास्तु अनुसार दाहिनी तरफ सूंड वाले भगवान गणेश को सिद्धिविनायक कहा जाता है.वहीं बाईं तरफ सूंड़ वाले गणेश जी को वक्रतुंड कहा जाता है. आप अपने घर के अंदर गणेश भगवान्  जी की प्रतिमा की स्थापना कर रहे हैं, तो ध्यान रखें कि मूर्ति वक्रतुंड गणेश जी की हो. अर्थात गणेश जी की ऐसी प्रतिमा लें जिसमें उनकी सूंड बाईं तरफ हो, क्योंकि इनकी पूजा में नियम कम होते हैं.

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